जाते जाते हमने इश्क़ का तोहफ़ा क्या माँगा उनसे funny shayari,

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जाते जाते हमने इश्क़ का तोहफ़ा क्या माँगा उनसे funny shayari,
जाते जाते हमने इश्क़ का तोहफ़ा क्या माँगा उनसे funny shayari,

जाते जाते हमने इश्क़ का तोहफ़ा क्या माँगा उनसे funny shayari,

जाते जाते हमने इश्क़ का तोहफ़ा क्या माँगा उनसे ,

वो हँस के बोल दिए ग़म ए उल्फत के आँसू क्या कम पड़ गए तुमको ।

 

वो अकेले ही नहीं गुज़र रहे हैं ग़म ए उल्फ़त के दौर से ,

तमाशबीन भी उलझे हैं इस कश्मकश में पुरज़ोर से ।

 

सब्र रख अँधेरा चाहे जितना घना हो ,

जिसकी तक़दीर में सेहर न हो ऐसी कोई रात ही नहीं ।

 

ख़्याल उठ रहे हैं अंजुमन में जो झुरमुट की ओट से ,

घायल हैं कई गुल यहाँ सब्र ए शबनम की चोट से ।

 

दिखने लगा था तेरी तबीयत पर भी मेरी मोहब्बत का असर ,

बिछड़ के मुझसे तेरी तस्वीर की नज़ाक़त बदल गयी।

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बिखरे पड़े हैं साहिलों पर समंदर के कितने मोती ,

तह ए दिल में छुपा रखे थे ज़मीन को ख़बर न थी ।

 

शायद कभी पसीज जाए दिल सैय्याद का ,

गुलों की मुस्कुराहटों के दम पर दुश्मन ए यार की भी रिहाई की गुंजाइश रखिये ।

 

गुलों के जिस्म से न हो जाये रंग ओ बू नदारद ,

पत्थरों के दिलों में लहू के आफ़ताब जलाये रखिये ।

 

ग़ुमनामी में छुप जाती हैं बदनामी से डर जाती हैं ,

कुछ हैं ऐसी भी मोहब्बतें जो रवायत ए जहान की सूली में चल जाती हैं।

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कितनो से वफ़ा हमने की कितनो से वादे वफ़ा की उम्मीद करते ,

इसी कश्मकश में जवानी ज़ाया की किसके दर पर इश्क़ ए गदा करते ।

 

खाना बदोशी में उम्रें गुज़र जाएँ कोई बात नहीं ,

जोश ए जवानी में इकतरफ़ा इन्क़िलाब होना चाहिए ।

 

ज़मीन पर टुकड़ा जो उतरा है आफ़ताब का ,

ज़र्रे ज़र्रे को रोशनी से भर दे वो जोश ए जूनून चाहिए ।

 

जोश ए जवानी में ग़लत उठे जो क़दम ,

कहीं ताउम्र मंज़िल से गुमराह न कर जाएँ ।

 

ज़मीर से रूह तक ज़र्रा ज़र्रा है खाली ,

इब्न ए इंसान में जाने कहाँ शैतान घर बनाया है ।

pix taken by google