वक़्त भर देता है हर ज़ख्म मरहम बनकर one line thoughts on life in hindi ,
वक़्त भर देता है हर ज़ख्म मरहम बनकर ,
बस कुछ जज़बात ए मरासिम सिसकते आज भी हैं ।
कुछ ऐसा है जो ज़िंदा होने का एहसास बनाये रखता है ,
जिस्म में सिमटी रूहों तक तेरा हर लम्स जगाये रखता है ।
यही तो एक गुनाह है ,
की तुझसे अब भी इश्क़ बेपनाह है ।
एक बला की सादगी थी उसमे ,
जिसपर मेरी तमाम महफ़िल ए रानाइयाँ फनाह हुईं ।
जब भी तन्हाइयों में गुफ्तगू ए सुमार होती हैं ,
आरज़ूएं भरती हैं दम विशाल ए यार की ही जुस्तजू ए तमाम होती हैं ।
जिगर फूंक के निकल आया हूँ ,
मैं अपने अरमानो को जलते घरौंदों में छोड़ आया हूँ ।
अब ज़िन्दगी में वो लुत्फ़ न रहा ,
तू न रहा तेरी आरज़ू ए जुस्तजू न रही ।
इतने शरीफ़ तो न थे वो की अलविदा कहते ,
मामला मुब्तला ए ग़म था कैसे दुश्मनी न पुख्ता करते ।
चलो सच तो क़बूला आखिर ,
हक़ जताते हो जिस पर उस दिल के अब अरमान भी तुम्हारे नहीं है ।
लोगों के ज़ख्म एक जैसे थे आह का फुवां एक जैसा था ,
फिर भी सबके अपने अपने फ़साने थे सबका अपना अपना तराना था ।
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मेरे अपने मेरे सपने सभी तो छूट ते गए ,
कोई इस मोड़ पर गया कोई उस मोड़ पर मुड़ा ।
मैं तनहा ज़िन्दगी से जूझता फिर भी ,
कोई इस और से गया कोई उस और से गया ।
है गुज़रा क़ाफ़िला लम्बा न ठहरा एक भी पल कोई ,
किसे कह दूँ ये मेरा है किसे बोलूं पराया छोड़ कर गया ।
जिसे समझा था अपना वो खुद बस मेरा साया था ,
समय की रात काली थी वो तो फिर भी बस साया था ।
समय क्यों थम नहीं जाता ये कोहरा छट क्यों नहीं जाता ,
मेरे अपनों के धूमिल से जो बिम्ब बनते हैं ।
वो प्रतिबिम्ब सास्वत सत्य में फिर क्यों ढल नहीं जाता ।
pix taken by google ,