शेर ओ शायरी का हुनर रखते हो तो नरम लहज़े से जिगर में उतरो भी shayari ,

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शेर ओ शायरी का हुनर रखते हो तो नरम लहज़े से जिगर में उतरो भी shayari ,
शेर ओ शायरी का हुनर रखते हो तो नरम लहज़े से जिगर में उतरो भी shayari ,

शेर ओ शायरी का हुनर रखते हो तो नरम लहज़े से जिगर में उतरो भी shayari ,

शेर ओ शायरी का हुनर रखते हो तो नरम लहज़े से जिगर में उतरो भी ,

क्या कलम को तलवार तल्खियों को जंग ए मैदान बना के रखा है ।

 

गीली आँखों में सर ए शाम कितने आफ़ताब जल के बुझ गए ,

फलक पर एक चाँद है जो दीदा ए यार की खातिर सारी सारी रात जगता है ।

 

ज़र्द पत्तों पर आती कदमो की आहटें ,

सुबह के कोहरे को सोखती रौशनी की झिलमिल

 

ज़ायका जैसा हो दोस्त बढ़िया था ,

हम हर घडी दोस्ती का तगादा नहीं करते ।

 

ज़माने भर की नफरतों से गर हो गए हो वाकिफ ,

फुर्सत मिले कभी तो दिल ए नाचीज़ की मोहब्बतों का मुआईना कर लो।

literature poetry 

तेरी चश्म ए तर निगाहों से बहते बेख़ौफ़ दरिया ,

किसी की दुनिया तबाह करते हैं तुझे परवाह नहीं ।

 

माना सारी बेवफाई हमने की ,

मोहसिन तुम तो किसी का ढंग से हो लिए होते ।

 

दिल की अदावतों में गिला शिकवा था मोहसिन ,

गोया लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयान कर लिए होते ।

 

दिल में अरमानो के दहकते अंगार सही ,

सर्द रातों का कुछ तो बंदोबस्त हो मोहसिन

 

रुसवाई ए मोहब्बत में जिरह बाज़ी का कोई सवाल नहीं ,

सुपुर्दगी ए दिल जस की तस हुई ही नहीं ।

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दिन के उजालों के सवालिया निशान ,

मैं रात के अंधेरों में अक्सर बत्तियाँ बुझा के ढूढता हूँ ।

 

सुर्ख आँखों में दिन के उजालों की कालिख ,

रात के अंधेरों में छुप गयी होगी मोहसिन ।

 

सोये नहीं हैं मेरे सपने अभी ,

गोया दिन के उजालों से कोई वास्ता भी नहीं रखते ।

 

कुछ तो बचा दो यार नशेमन गरीब का ,

बेगुनाही का मेरे कहीं कोई सबूत हो

 

कभी समंदर में डूबता सूरज ,

कभी तेरे दामन में साहिल तलाश करता है ।

 

सर्द रातों का धुआँ रगों में रवां रवां सा है ,

जाने फिर क्यों बदन में अकडन है ।

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pix taken by google