अमूमन कुछ बच्चों में बचपना ही नहीं होता kids poetry in hindi ,

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अमूमन कुछ बच्चों में बचपना ही नहीं होता kids poetry in hindi,

अमूमन कुछ बच्चों में बचपना ही नहीं होता ,

वक़्त की करवट उम्र से पहले बुढ़ापा थोप देती है ।

 

दौड़ जाता है कभी बचपन के पीछे बचपन ,

बचपन में इंसान की औक़ात का कोई क़ायदा नहीं होता ।

 

आसमान के चाँद में राहतें ढूढता बचपन ,

फिर तपन में भूख की वो चाँद सारा जल गया ।

 

मिटटी के भिगोने में सूरतें बदल बदल ,

बचपन संवर रहा है यहाँ कचरे के ढेर में ।

 

क़ुदरत के क़हर से घर लुटे कुछ दंगे सियासी हो गए ,

हाँथ छूटा माँ बाप का बच्चे खलासी हो गए ।

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थोड़ी सी जलन होती है , थोड़ा सा बुझा रहता हूँ ,

तेरे होने पे सुकून मिलता है तुझे खोने पे खफा रहता हूँ ।

 

बदलते मंज़र ये फ़िज़ाओं के सुकून देते नहीं ,

तर्क़ ओ ताल्लुक़ हो नज़र से तो सीधा जिगर में उतरो

 

वो दिलासे से सुकून देते गए ,

यहां खाली वादों से पेट भरता नहीं

 

ग़र मेरे हर मर्म की दवा तुम हो ,

फिर धुएँ सा फ़िज़ाओं में रवां रवां क्यों हो ।

 

जिगर में हादसों का गुबार समेट कर ,

मेरी नज़रों को अब खून ए सैलाब सुकून देता है ।

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मुझसे रुख़्सत के बाद रोये तो नहीं ,

गोया तुम्हे आदत थी हमेशा मुस्कुराने की

 

कभी तो इश्क़ हो हम भी इक़रार करें ,

नज़रों के तक़ल्लुफ़ को कलम हर्फ़ दर हर्फ़ इज़हार करे

 

अदाएँ फ़ितना सी कमर पे बल पड़ते गए ,

इस उम्र में बत्तीसी तो कभी बाल झड़ते गए ।

 

फ़ितना ख़्याली होते नहीं जिगर यतीमो के ,

ख़्वाबों में आब ओ ग़म बेशुमार होते हैं ।

 

ख़ूबसूरती तो बहुत मिली मगर वो सादगी अब भी बाकी है ,

मोहब्बतें तो बहुत मिली मगर वो ताज़गी अब भी बाकी है ।

 

आसमान के पंछियों के साथ उड़ना चाहता हूँ ,

माँ मैं लयबद्ध होके ज़िन्दगी के गीत बुनना चाहता हूँ

pix taken by google