इश्क़ के मरहम से महरूम हैं जो क्या जानें good morning shayari,

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इश्क़ के मरहम से महरूम हैं जो क्या जानें good morning shayari,
इश्क़ के मरहम से महरूम हैं जो क्या जानें good morning shayari,

इश्क़ के मरहम से महरूम हैं जो क्या जानें good morning shayari,

इश्क़ के मरहम से महरूम हैं जो क्या जानें ,

कड़कड़ाते बादलों की बिजलियों से चोंट कहाँ लगती है दर्द कहाँ होता है ।

 

बड़ी बेहयाई हैं हसीनाओ के शहर में ,

नगीनों के तलबग़ार को यहाँ साँप मिलते हैं ।

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ग़फ़लत न समझ इश्क़ नहीं ,

आज मौसम ही शायराना है ।

 

अब से पहले कभी इतना भी मसगूल न था दिल,

ओहदे दिए किसने आशिक़ बनाया किसने रूबरू तेरे ज़माना ही सारा भूल गया ।

 

दर्द ए दिल की दुकान खोल रखी थी ,

ग्राहक भी नाहक़ में सबके सब कारोबारी निकले ।

 

एक तुझको ही फ़ुरसत न मिली थी वरना ,

शहर भर के अजनबियों में भी अपने किस्से थे ।

 

आसमाँ पर चाँद चढ़ता है लम्हा लम्हा ,

ज़िक्र छिड़ता है किताबों में तेरा सफ़ेहा सफ़ेहा

 

गुंचा गुंचा गुलों में रंगत है ,

सब्ज़ बागों में गुल ए कचनार खिले ।

 

अदावतें हवा से रखते हैं ,

राज़ ए गुल शबनम की बूँदों से ज़ख्म खाकर भी ।

 

हवा में ज़र्रे ज़र्रे की नुख़्ताचीनी है ,

शबनम से मिल कर गुल कोई आफ़ताब हो गया ।

 

गुंचा ए गुल तो कभी साख से पत्ते बिखरे ,

मौसम ए बयार में सब्ज़ बाग़ कैसे लहलहा रहा होगा ।

 

ऐसे बन्दे ख़ुदा के नुमाइंदे होंगे ,

जो राह ए मुफ़लिश को साद ए गुल से ख़ुशनुमा करते होंगे ।

 

आओ की रात तन्हा है ,

आओ की साथ होके भी हम गुमनाम चलें ।

 

गाय और फ़क़ीर दो टूक रोटी की आस में दरवाज़ा तकते हैं ,

सच कह गए कहने वाले भूख का कोई मज़हब नहीं होता।

 

मौसम ए मिजाज़ पर मैकशी छाई है इस क़दर ,

अब तो ख़्वाबों से भी इश्क़ ए ख़ुमारी उतरती नहीं ।

 

हर तरफ अगर इश्क़ ए मुल्हाइज़ा होने लगे ,

नफरतों को कौन पूछे दुश्मनों की भी फरमाइश होने लगे ।

 

सुना है इश्क़ की सोहबत में आकर ख़्वातीनो हज़रात ,

गर्दिश ए ग़मगीन से शहर ए नामचीन हो गए ।

bhoot pret ki kahani hindi,

उस गुल में खुश्बू कहाँ से हो ,

जिसे आदम ए बू से नफरत जहाँ में हो ।

pix taken by google