ऊँघती अलसाई शाम गर्मी की थकन से चूर quotes life hindi ,
ऊँघती अलसाई शाम गर्मी की थकन से चूर ,
सुदूर कहीं शहर के बंतड से परे धानी चूनर ओढ़े थक के सो गयी ।
कुछ किस्से कहानियां बुनते ,
कुछ दादा दादी के साथ चाँद तारे गिनते ,
घर के आँगन में बिछे खाट पर ,
गर्मियों की रात गुज़र जाती थी ।
सड़क पर गिट्टियां फोड़ना ही है क्या ज़िन्दगी का मक़सद ,
पेट की आग की खातिर ही जिस्म गर्मी की धूप में तिपा करता है ।
जितने थे फूल मेरे हिस्से के ,
लू के थपेड़ों में कुम्हला के कहीं सो से गए ।
जली जली सी धूप में जले जले से ख़्वाब लेकर ,
हर शख़्स निकल जाता है झुरमुट की तलास में ।
एक एक नज़्में सजाने में उम्रे गुज़ारी थी हमने ,
वो उन्ही नज़्मों के दरमियाँ पुरज़ोर चले ।
मुर्दों की शहर में तादाद ज़्यादा है ,
बादाकशों से कह दो कहीं और ज़ाम लहराएँ ।
जो समझते हैं ज़मीनी ज़र्रों पर बारिसाना हक़ ,
ज़मीन से आस्मां तक हर औक़ात अपनी है ।
ग़र कोई है मुझसे भी ज़्यादा पाक़ीज़ा ,
तो मेरे कफन से ज़्यादा सुफेद होकर दिखलाये ।
न कोई साँस न आहट न रूहों की बख़त,
शहर के शहर बस बुतों के मकबरे से लगते हैं ।
कोई ऐसा भी मज़हब हो ,
जिसमे इंसानियत के वास्ते संस भर की भी राहत हो ।
मेरे मरने के बाद मेरे जनाज़े का शामियाना तगड़ा था ,
जीते जी हाल पूछ लेते तो क्या बिगड़ा था ।
मत पूछ चरागों का सफ़र कितना था ,
सारी रात तन्हा जले और सेहर होने से पहले ही बुझ भी गए ।
ख़ामोशी से ख़्वाहिशों की सुपुर्दगी करके ,
वो चला गया धड़कते दिल को तन्हा करके ।
एक चैन की नींद आये तो सुकून आये ,
बस एक लम्हे में तमाम उम्र बसर हो जाए ।
दिल ए फ़ित्ना की तबीयत नासाज़ समझ कर ,
वो कड़ी धुप में निकला है तगादा किये बग़ैर ।
बढ़ा के थामा था हाँथ अगर उम्र भर साथ तो चलता ,
क़फ़स बदला था जनाज़े के साथ में रहता ।
pix taken by google