खुश्बुएं मेरे क़फ़स से आती हैं नदीम 2line shayari,

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खुश्बुएं मेरे क़फ़स से आती हैं नदीम 2line shayari,
खुश्बुएं मेरे क़फ़स से आती हैं नदीम 2line shayari,

खुश्बुएं मेरे क़फ़स से आती हैं नदीम 2line shayari,

खुश्बुएं मेरे क़फ़स से आती हैं नदीम ,

वो मेरे शहर में बिन बताये आके ठहरा है ।

 

चाँद का बादलों में पर्दानशीं हो जाना ,

हम सारी रात निगाहों को बेपर्दा किये बैठे रहे ।

 

रिश्तों में सुगबुगाहट है ,

आदम ए खूँ में शहर का आब ओ ताब घुला ही नहीं ।

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मतलब परस्ती के बस लम्स नज़र आते हैं नदीम ,

इंसान को इंसान में इब्न ए इंसान नज़र नहीं आता ।

 

अश्क़ों के भी अक़्स बनते हैं ,

इश्क़ अकेला कभी भी किसी को होने नहीं देता ।

 

कभी खुद पर कभी ख़्याल ए यार पर रोना आया ,

खुमार बनके बेतकल्लुफ में बेसुमार आया ।

 

अब मोहब्बत हो तो शब् ए गुल में तरावट आये ,

चमन के फूलों पर अश्क़ों को बहाया नहीं जाता ।

 

तुम तो नज़रों से बयाँ होते हो ,

हमें हालात हमारे समझ में आते नहीं ।

 

रात गुस्ताख़ अंधेरों से मचल जाती है ,

दिन उजालों में किसी ठौर बहल पाता नहीं ।

 

कभी तो इश्क़ हो हम भी इक़रार करें ,

गोया नज़रों के तक़ल्लुफ़ को कलम हर्फ़ दर हर्फ़ इज़हार करें ।

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ज़मीन ए खाकसारी में दीन ओ इमान का सौदा न गर किया होता ,

किस्मत बुलंदी पर फलक के तारे सारे हमारे होते ।

 

किस्मत के दम पे शहर भर के दिलों पर खुशियों के टकसाल चलते ,

यहां मसर्रतों का फुटकर में न कारोबार होता ।

 

मर गया कोई ठिठुर के इस नशीली रात में ,

शहर का कोने से कोना जश्न में डूबा रहा ।

 

सियासत की चौसर पर शहर ए दिल का ज़र्रा ज़र्रा है ,

ज़िन्दों के बुत हैं मुर्दों के सर पर चील कौओं का पहरा है ।

 

शहर ए दिल में ज़हरीला धुआँ है , हर घर में चूल्हे जले होंगे ,

न मरेगा फुटपाथ पर कोई सर्द रातों में अलावों में अंगार तो भरे होंगे ।

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मर गए फुटपाथ पर कुनबे ,

शहर ए दिल में रियासतें खड़ी करके ।

pix taken by google