जश्न ए ग़ालिब की ग़ज़ल सी कहीं तासीर नहीं quotes in hindi,
जश्न ए ग़ालिब की ग़ज़ल सी कहीं तासीर नहीं ,
बिना ग़ालिब के मुकम्मल हो कोई तस्वीर नहीं ।
फ़लक़ पर जश्न ए ग़ालिब की ग़ज़ल क्या लिख गयी,
शब ए बज़्म में चरागों को रोशन करने कई फ़नकार आ गये ।
लहू के रंग ओ बू से हर इंसान एक जैसा था ,
फिर भरे बाज़ार में बिकते रिश्तों का नुस्खा क्या था ।
राह ए उल्फ़त में मंज़िल का तलबग़ार है कौन ,
हाँथ में हाँथ रख दो चार क़दम साथ तो चल ।
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तंग हाल हैं रूहें जिश्म ए मुजस्सिम के दायरे में रहकर ,
वजूद ए सुकून की खातिर ही बस ख़ाक ए सुपुर्दगी मिलनी चाहिए ।
इतना गहरा है कोई ज़ख्म जो इश्क़ से ज़्यादा नासूर लगे,
रूहानी मुलाक़ात के बाद ही दिलों को सुकून मिले ।
मुलाक़ात ऐसी हों रूहें मिलने की ,
दरमियां ज़ीस्त के न कोई जिस्म न कोई पर्दा हो ।
मुझको मेरे दींन ओ मज़हब से सरोकार नहीं,
तू मुझको ज़माने भर के रिश्तों की दुहाई ना दे ।
दिल किसी और से मिलने का तलबग़ार नहीं ,
रूबरू मेरे मेरा आइना ए अक़्स बदल जाता है माज़रा क्या है ।
खुद के दरूं तमाम रात की गुफ्तगू के बाद ,
ये फैसला निकल के आया कोई शख्स दिन के उजालों में मेरे जैसा भी है ।
जहान भर का उजाला अतीत लगता है ।
दिल के खामोश अँधेरे को उजालों की तलाश हो जैसे ।
ये उर्दू अदब है हर ज़बान पर मोहब्बत की बात होती है,
शाम ए बज़्म के शामियाने में शान ए ग़ालिब की बात होती है ।
तुझको हर रोज़ मोहब्बत हो मयकशी में ही सही,
तू हर रोज़ शेर कहे ग़ालिब की नज़र ही होगी ।
करके इरशाद मोहब्बत पर एक शेर कहा ,
तर्क़ ओ ताल्लुक़ ना इत्तेफ़ाक़ ए ग़ालिब की ग़ज़ल हो ऐसी सौगात कहाँ ।
जो लोग लिखते हैं सुखनवर अच्छे ,
हो ना हो उन पर ग़ालिब की ख़ास ए मेहर ही होगी ।
सारा जहान रोशन है तेरे बदन की रोशनी के साथ ,
अब मुझे किसी और चश्म ए चरागों की दरकार नहीं ।
सर्द झोंके ज़ख्म में चुभते हैं ,
मेरे ख़्वाबों को यूँ बेलिबास ना कर ।
ग़ालिब का तसव्वुर है या शायर की तू ग़ज़ल ,
तू ताज़ ए मुजस्सिम है या झील का कँवल ।
pix taken by google ,