जश्न ए ज़ीनत की आरज़ू तमाम उम्र image shayari ,

1
1565
जश्न ए ज़ीनत की आरज़ू तमाम उम्र image shayari ,
जश्न ए ज़ीनत की आरज़ू तमाम उम्र image shayari ,

जश्न ए ज़ीनत की आरज़ू तमाम उम्र image shayari ,

जश्न ए ज़ीनत की आरज़ू तमाम उम्र ,

लब से उफ़ तक न किया अनकही कहे बगैर

 

तबाही खुद मचाई बुत बने बैठा किये थे साख पर ,

अब इल्तेज़ा ए हुश्न है गुनाह क़बूल कर इश्क़ इल्ज़ाम लेले हाँथ पर ।

 

हवा पे मौज़ों की कलाकारी कभी ग़रज़ते बादल ,

बेमौसम हसीनाओ की अना ए इंकिसारी माज़रा क्या है।

 

शब् ए बज़्म में बैठे हैं लेकर के अना का तेवर ,

गोया ज़हमत ए इंकिसारी करें दो चार शेर फरमा ही दीजिये

sad shayari 

सुने सुने से फशाने से सुने सुने से किस्से सारे ,

वो बारिश के मौसम में भीगना कांपते होठों से हथेली को सुखाना ।

 

पहली ही बारिश में रो दिया वो आंसू को बहाकर ,

दिल में दबा के कब तक ज़ख्मों को छुपाता ।

 

मौसम ए मिजाज़ ए अना उस पर तलफ़्फ़ुज़ ,

बेमौसम ए बरसात में सारा तन बदन सर ए आम तर हुआ

 

चलते थे ज़मीनी शोलों पर एक गज़ब की इंकिसारी थी ,

अब तो बजते हुए अना के घुंघरू भी पाँव पर खार बनके चुभते हैं।

 

अभी सोजा की सेहर बाकी है ,

रात तेरा गरूर टूटेगा ।

 

नज़रों से रात दिन हाल ए दिल की बयान बाज़ी ,

वो कहते हैं शायरी में तंज़ करते हो ।

 

जलता है समां धुआँ धुआँ सा है ,

हाँथ में मेहँदी दिलों में जाने कैसी सुगबुगाहट सी है ।

 

छटांक भर का दिल कूत भर के अफ़साने ,

ज़ंजीर डलवा के सब्ज़ अरमानो का मेरे बाग़ बगीचा भी अपने नाम में करवा ले।

 

कितना महान रहा अहम् कितने नादान रहे हमबदम,

कोई सैय्याद आया हमें हमारे ही घर में ग़ुलामी की ज़ंजीर पहना के चला गया ।

 

तुम लिबासों से नापते हो ओहदे ,

हम शेर ओ सुखन के दम पर आदम ए किरदार बना देते हैं ।

 

कभी तो मिलते मिजाज़ ए यार से मोहब्बतों की गुफ़्तगू होती ,

दरू होती हवा कमज़र्फ़ जब मिसाल ए यार से रूबरू होती ।

 sad poetry in urdu 2 lines

pix taken by google