दिल एक प्यासा समंदर romantic shayari ,

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दिल एक प्यासा समंदर romantic shayari ,
दिल एक प्यासा समंदर romantic shayari ,

दिल एक प्यासा समंदर romantic shayari ,

दिल एक प्यासा समंदर ,

तू सूखी रेत् का झरना

 

सुरों में मिसरी घोलता है ,

दौर ए वक़्त का सियासी बस चैन ओ अमन पर मीठा बोलता है

 

कब तलक अपने ही लख़्त ए जिगर का सौदा करोगे ,

क़ब्र में झूठ की चादर ओढ़ कर सोये रहोगे

 

सियासतदानों से चैन ओ अमन की उम्मीदी ,

दिलों का धोखा आँखों का छलावा है साहेब

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छुपे होंगे तेरे आगोश में मूँगे मोती,

दामन में तेरे दोनों जहान ख़ाक ख़ाक हैं ।

 

बड़े बड़े सफ़ीने डुबोने वाला समंदर ,

खुद के साहिलों पर रेत् के ढेर जमाये रखा है ।

 

ता उम्र भटकता है साहिलों की तलास में ,

अनजान मुसाफ़िर को भी किनारे लगा देने वाला समंदर ।

 

सूख कर भी क़तरा क़तरा खारा खारा है ,

इन आँखों के समंदर में कितने फसल ए खार छुपा रखे हैं ।

 

चलो की आज समंदर की लहरों के साथ साथ चलें ,

कदम ताल मिलाकर के हाल ए दिल का बहरहाल चलें ।

 

ये समंदर भी न जाने कितने सफ़ीने डुबोये बैठा है ,

इस जज़ीरे में सूरत ए आदम के न जाने कितने आदमख़ोर रहते हैं ।

 

वक़्त के साथ बदल जाते हैं अस्थि पंजर मलबे में ,

यहाँ जीवित जीवाश्म से तेल निकलवाने की रवायत है

 

वक़्त की तलहटी में झाँक कर देखो ,

कितने नायाब नगीने वहाँ पोसीदा हैं ।

 

बदलते ज़माने की आदम ए सूरत देखकर ,

वक़्त पहचानने से गुरेज़ करता है

 

वक़्त की खींची लकीरों का असर ,

इंसानी चेहरों पर भी अब साफ़ नज़र आता है

 

जिन अश्क़ों का रोना उन्हें ता उम्र रहा ,

हमने खैरात में बाँटे हैं समंदर ऐसे

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यूँ तो इश्क़ तेरा समंदर से कम न गहरा था ,

बीच मझधार में भी प्यास अभी बाकी हैं

 

वक़्त ने लिखी हैं साहिलों पर तहरीरें ऐसी ,

चाह कर भी कोई समंदर न मिटा पायेगा ।

 

किसी की बेरोज़गारी में तरस मत खाना ,

क्या पता तुमसे कहीं ज़्यादा वक़्त बेफज़ूली में वो बर्बाद किया हो

pix taken by google