नफ़रतें इतनी हैं अगर सीने में josh shayari,

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नफ़रतें इतनी हैं अगर सीने में josh shayari,
नफ़रतें इतनी हैं अगर सीने में josh shayari,

नफ़रतें इतनी हैं अगर सीने में josh shayari,

नफ़रतें इतनी हैं अगर सीने में,

एक नयी धरा से एक नया गगन मिला डालो ।

 

ख़ाक कर दो ज़मीन की फसलों को ,

आसमाँ में फसल ए गुल खिला डालो ।

 

बदल डालो सुर्ख सफक सुफ़ेद क़फ़न की रंगत को ,

खून ए रंग से इसको रंगीन बना डालो ।

good morning shayari

गर न भाती हो रंग ए बू ओ हिना की संगत ,

बेवाओं के नाम का एक शहर ही बसा डालो

 

आदम ए आदम का खून एक जैसा न लगता हो अगर ,

अपने खून का एक कतरा तल्ख़ अज़ाब से बुझा डालो

 

गर न भाता हो इंसान का इंसान होना ,

अपने नाम के आगे भी जानवर लगा डालो ।

 

इतनी ही नफ़रत भरी हो आदम ए खुल्द के गर सीने में,

फिर किसी बन्दे को ख़ुदा कर के तख़्त ए शहंशाह में बिठा डालो ।

 

कहते हैं ज़हर काटता है ज़हर को ,

नश्ल ए ग़ुल में भी दो बूँद ज़हर के मिला डालो ।

 

हँस के चढ़ जाता है बुतख़ानो और मज़ारों में ,

नश्ल ए गुल को भी उनका मज़हब बता डालो ।

 

नादानी तो उसने की जिसने तुमको फ़िरक़ा परस्त बनाया ,

उसे ये इल्म न था आदम की तबाही को ही आदम ए संयंत्र बनाया

 

उसके बनाये बन्दों को उसी के खिलाफ लड़वा डोगे,

सोचता हूँ वो भी रह रह कर आदम ए नश्ल से बदला लेगा ।

 

जैसे तुले बैठा है इब्न ए इनसाँ वजूद उसका मिटाने को ,

वो भी बर्बादी ए सामान तैयार किये बैठा होगा दो ज़ख में मिलाने को

 

सारी धड़कने बदल डाली जान का वास्ता देकर ,

बर्बादी ए सामान तैयार किये बैठा होगा दो ज़ख में मिलाने को  निकला ।

 

ये बेमौसम की बरसात सी थी मोहब्बत तेरी ,

तन को गीला मन को सूखा कर गयी ।

 

ज़ुल्फ़ों का दामन छोड़ कर बूँदें आफ़ताब हो गयी ,

जो बच गयी गालों पर शबनम ए शबाब हो गयीं ।

 

दो बूँद चुरा लाया हूँ मौसम ए अर्क़ की सनम ,

गर हुश्न ए इजाज़त हो तो तेरे रुख पर सँवार दूँ ।

bhayanak horror story 

कभी देखी है खिली धूप में झमा झम बारिश ,

हमने रुख़सार से उनके हुश्न ए अIफ़ताब पिघलते देखा है

pix taken by google