बर्बाद ए मोहब्बत का तमाशाई था ज़माना सारा quotes life hindi ,
बर्बाद ए मोहब्बत का तमाशाई था ज़माना सारा ,
और हम अश्क़ों के तल्ख़ ज़ाम हँस हँस के पीते रहे ।
राह ए उल्फत में जब गुफ़्तगू ए इश्क़ तल्खियों में हो ,
जायज़ है दोनों के हक़ में अलविदा कहना ।
तल्ख़ रंगों से तस्वीर मैं बनाता हूँ जब भी ,
तेरा नक़्श हर अक़्स ए आईन उतर आता है।
नज़र की कनखियों पर लटकता चाँद ,
रात के सन्नाटे में बड़ा तल्ख़ तल्ख़ लगता है।
कितना ख़तरनाक है आज का आदम ए खुल्द,
गुज़रे ज़माने का बेज़बान भी दिल में रंजिश नहीं रखता ।
रंजिशें तो अब पूरी होंगी जब बर्बादियों का हर मंज़र तुम्हारा होगा ,
तमाशाई भी हम होंगे और तमाशा भी हमारा होगा ।
खुद में सिमट रही थी कली कली इस तरह ,
सुर्ख लबों पर दबा रखी हो सैकड़ों रंजिशें जिस तरह ।
टूटे बिखरे पड़े थे कितने गली के नुक्कड़ में ,
जाने किन सोख निगाहों ने दिलों को तोड़ा था ।
फिर वही रात की तल्खी ग़म और तन्हाई ,
खिज़ा के मौसम में बाग़ों में बहार कहाँ ।
इश्क़ ने तुझको क्या बदनाम किया ,
असली चोट तो हम जिगर पर खाये राह ए मुफलिस में बर्बाद होकर ।
शाम होते ही छेड़ देते हो अफ़साना दिल का ,
फिर सारी रात तल्खियों में बीत जाती है ।
इश्क़ बदनाम किया लाख सही ,
अख़बार की सुर्ख़ियों में तो छपते हैं इश्तिहार ए मोहब्बत हर दिन ।
मेरी वीरान रातों में तेरी बस यादों का ठिकाना है ,
दिल ए नसाद को आबाद करना तो बस बहाना है ।
हर रोज़ शाम ए बज़्म में सुख़नवर हो ज़रूरी तो नहीं ,
इश्क़ के हिस्से में तल्खियाँ भी होती हैं ।
दिल में जब दर्द उठा था ही नहीं ,
किसे कह दूँ की तुझे मुझसे इश्क़ था की नहीं ।
इश्क़ ने मज़बूर किया था ग़ालिब,
वरना कौन साद ओ ग़म का ज़ौक़ रखता है ।
इश्क़ के मारे हैं ग़ालिब ,
नरम लहजों को भी तल्खी ही समझ लेते हैं ।
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