बेजा बात पर अड़ा है दिल shayari hq,

0
1816
बेजा बात पर अड़ा है दिल shayari hq,
बेजा बात पर अड़ा है दिल shayari hq,

बेजा बात पर अड़ा है दिल shayari hq,

बेजा बात पर अड़ा है दिल ,

इश्क़ ए इबादत में मेहबूब को कहता ख़ुदा है दिल ।

 

मुझसे वास्ता न रख ज़ाहिद,

मेरी हर इबादत में इश्क़ पुख्ता है

 

मिजाज़ फटफटी सा हवा बैहर,

आज कल कोई भी अपने पानी पत्र का नहीं मिलता ।

izhar e mohabbat shayari,

जलती बत्ती खण्डहरों में मोम की ,

तू सीखचों की चुभती है जिस्म में रोम रोम की

 

पकड़ सकता है तो लोक के पकड़ ,

आज कल ख़्वाबों में खाली ख़्याल नहीं जज़्बात उड़ा करते हैं

 

रह सकता है तो सादगी में रह ,

कोई इश्क़ ए इबादत में तुझे कहीं ख़ुदा न कर ले ।

 

जहाँ में इबादतों के लिए क्या ख़ुदा कम थे ,

सुना है काफिरों ने एक मसीहा और इख़्तियार किया है ।

 

ख़्याल ए गुल ने सजा रखे थे अंजुमन में कारवाँ ,

यहां तो हर गुंचे से रोज़ एक ख़ुदा निकला ।

 

ऐसे बन ठन के निकले हैं ख़ुदाओं की तरह ,

जाने किस किस पर बिजलियाँ गिराएँगे दुआओं की तरह

 

तमाम उम्र की दुआओं का छोड़ रहम ओ करम ,

जाने किस ओर मुशाफिर मजमा लगाने निकला

 

बात बात में तंज़ हो इश्क़ में ,

मेहबूब ए ख़ुदा की बंदगी तो हर शख़्स किया करता है ।

 

जी करता है आज सारे ग़म निचोड़ कर रख दूँ ,

गर्दिश ए शहर में अश्क़ों की बारिश भी थोड़ी ज़्यादा है

 

तुम अपनी बेवफाई को इल्ज़ाम न दो ,

हम अपनी बर्बादियों को मोहब्बत का इनाम समझेंगे

 

हसीनो को बेवफाई का मौका दे दो ,

फिर तो तमाम आशिक़ सरे बाज़ार मरें अपनी बला से ।

 

मुफ़लिश ए वक़्त दाने दाने को मोहताज़ है ,

सैय्याद बिन डकारे साहूकार बन गया ।

 

उम्र ज़ाया किया इक बुत परस्ती में ,

मेहबूब ए ख़ुदा पर मिटता तो मौत क़ामिल थी

 

लब से दुआ निकली न नमाज़ें अदा हुईं ,

जाने हिज्र के मौसम में कैसे रमज़ान चुक गया ।

bhayanak horror story

नाम निकलता है मेरे लब से दुआ बन बन के ,

एक तेरे सिवा दिल को मेरे कोई काम नहीं

pix taken by google