रसूखदारी चलती नहीं इश्क़ के मैदान में hindi shayari dosti love,
रसूखदारी चलती नहीं इश्क़ के मैदान में ,
जीतता है जंग वोही जो झुक के खेले सर कटाये प्यार में ।
ग़म गरीबों का सल्तनत ए ख़ुदा ने बक्शा है ,
यहाँ लूटे कोई दावत कोई निवाले को तरसा है ।
खोया था बहुत कुछ हमने तुम्हे उस रात खोने के बाद ,
तुम्हारी सहेली मिली रास्ते में मागी लिफ्ट तुमसे जुदा होने के बाद ।
ज़ालिम का भी सीना छलनी है मासूम की मासूमियत देखकर ,
मासूमियत इसे कहते है तो जाने हैवानियत कैसी होगी ।
ज़िन्दगी अभी जवान हुयी दुल्हन बनी घोड़ी चढ़ी ,
उधर मौत मैय्यत सजाये खड़ी थी प्यारी मेहबूबा बनी ।
हमारी ख़ुशी का सबब वो थे जो कभी गमगीन न हुए ,
इन्तहा आंसुओं की थी जो हम में कभी शामिल न हुए ।
जीवन की मृत्यु शैय्या धार के प्रवाह पर ,
कर रही है उथल पुथल जाने अटके कौने घाट पर ।
लहरें हैं मद्धम साँस भी थमी थमी सी है ,
जीवन है सतत पथ पर निरंतर फिर भी कुछ कमी सी है ।
इंतेहा नाम है मोहब्बत का ,
हर इम्तिहान से जो गुज़रा है ,
सब्र का बांध टूटा है इश्क़ एक राज़ गहरा है ।
ज़िन्दगी में हर एक मोहब्बत जब भी आमने सामने आई ,
पुराने ज़ख्मों को कुरेदी दुखती रगें फिर से तड़पाई ।
जब भी पियो शराब दिल का एहतेराम करो ,
लब पर ख़ुदा का नाम रखो दुश्मनो के भी गिले शिकवे तमाम करो ।
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यूँ जलते बुझते तारों सी टिमटिमाती यादें तेरी ,
शब् ओ सेहर दिल के अंदर भी एक अपना आसमान बना रखी हैं ।
ग़मगीन टहल रात्रि पहर है नशीब में ,
बोसा न मिला होश उड़ा चाँद रात में ।
ठण्ड में बेमौत मरा आशिक़ कतिया करते ,
सारी रात बस फेरी माला मेहबूब का नाम जपा करते ।
काश तेरी दरिया सी आँखों में ,
एक कतरा मेरे नाम का होता , मैं डूब मरता इश्क़ में नाम तेरा बदनाम न होता ।
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