लबों को लबों की प्यास है शाकी romantic shayari ,
लबों को लबों की प्यास है शाकी ,
जाम ए मैकशी पैमाना ए ख्वाहिश ख़्वामख्वाह बदनाम हैं शाकी ।
पैमानों में नापी जाती है प्यास पीने वालों की ,
चश्म ए तर आँखों का कोई हिसाब नहीं होता ।
अश्क़ों में डुबोकर के सुरमयी शाम खड़ी ,
फिर इसी शाम की ख़ातिर एक आख़िरी जाम हो जाए ।
शाम ढल जाती है पैमाने में ,
जब भी तेरा ख़्याल आता है ।
पीना पिलाना तो जश्न ए रवायत है शाकी ,
गोया ये महफ़िल ए याराना कितनी देर चलता है ।
जो बच गए हैं अब तलक जमाल ए यार से ,
वो होंगे अब हलाल नज़र ए कमाल से ।
मोहब्बत के कैदियों का हाल ए अंजाम ये रहा ,
मिल गयी आज़ादी फिर भी क़ैद ए बामुशक़्क़त शीफ्ता किया गया ।
ज़मीर पर बोझ थी मोहब्बत तेरी ,
जा तुझको तेरी वफ़ाओं से भी आज़ाद किया ।
रोशनी चरागों से ही होती है अगर ,
लोग शमाओं से जहान भर लेते ।
कौन रोता जहाँ में किसके लिए ,
बिछड़ के यार ए इलाही चाँद तारों को ही नूर ए नज़र कर लेते ।
मंज़िल ए मक़सूद की खातिर आगे बढ़ा कारवाँ होगा ,
फिर यूँ हुआ न हम याद आये और न किसी ने बुलाया होगा ।
धरा ने थाम रखे हैं आसमान कई ,
स्थूल पर उगा के कहीं फूल कहीं शूल कई ।
बिन परों के मन लेके उड़ा ,
जाने ख्वाब कितने भारी हैं ।
आज़ादी क्या है बंद पिंजरे के परिंदे को खोल कर देखिये ,
गोया चंद फ़लसफ़ों में ज़मीन क्या आसमान नाप देंगे ।
मुफ्त की आज़ादी का मतलब बताये कौन ,
मादर ए वतन की सरपरस्ती में बिश्मिल सीने पर कितने घाव लगे हैं ।
यूँ तो आज़ाद है हर एक शक़्स अपने क़फ़स में ,
रूह से ही बस एक जंग जूझ रहा है ।
आत्मा में बोझ है ग्लानि है ,
मोक्ष के चलते परमात्मा से मिलने की ठानी है ।
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