शराब मयकशी और मयख़ाना romantic shayari ,

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शराब मयकशी और मयख़ाना romantic shayari ,
शराब मयकशी और मयख़ाना romantic shayari ,

शराब मयकशी और मयख़ाना romantic shayari ,

शराब मयकशी और मयख़ाना ,

साल दर साल खाली जामों की फ़ितरत क्या है ।

 

जब भी पैमानों से छलक जाती है ,

बात दिल की ज़बान पर आती है ।

 

गुस्ताख़ लगती है क़लम की सोहबत ,

ज़बान पर आने से पहले राज़ सारे दिल के खोल देती है ।

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कुछ ख़ास मौकों की तलाश रहती है ,

ख़ाली लबों को बस जाम की प्यास रहती है ।

 

साल दर साल यही हाल रहा ,

आशिक़ हर हाल में बद- हाल रहा ।

 

बीते साल के जुमले क्या कम थे , जो नया साल ,

साल दर साल दर पर मुँह उबाए खड़ा है ।

 

तेरी आँखों के पैमाने में डूब मरना क्या कम था ,

जो ज़ालिम ने सर ए महफ़िल हाँथो में जाम थमाया है ।

 

दुनिया के अजायब में बस जिस्मों का तमाशा है ,

रूह बेंचो अगर कोई ज़माने भर में ख़रीदार मिले ।

 

चंद सिक्कों में वज़ूद तौल देते हैं ,

क्या किसी का रूहानी किरदार रोक लेते हैं ।

 

उठते गिरते पर्दों सी खुले आम ज़िन्दगी ,

होता हर रोज़ तमाशा है बड़ी बद्नाम सी ज़िन्दगी

 

तूने तो फाड़े थे जिगर के टुकड़े मेरे ,

अब तेरे ख़त को जला कर अलाव हर रोज़ सेंकता हूँ ।

 

शीसे से उतरता है जो अक़्स धीरे धीरे ,

हो गर ज़बीं ए यार क़यामत भी सँवर जाए ।

 

हसरतें जितनी हैं बंद शीसे में ,

छन से शीसा जो चटक जाए तो बात बन जाए ।

 

तू मेरी रश्म ए उल्फ़त को हादसे का इल्ज़ाम न दे ,

बला अभी टली नहीं नए साल में तोहफा ज़रूर कोई लाऊँगा ।

 

दरूं ए इश्क़ से चिलमन हटा दो ,

की तमाम हसरतें बेज़ार लगती हैं ।

 

इश्क़ समझूँ या जराफत समझूँ ,

सुर्ख होठों के छलकते जाम को आतिश ए जाम समझूँ या आब ए जम जम समझूँ ।

 

मत पूँछ ग़ालिब की इश्क़ का हाल ए मुक़ाम कैसा है ,

तेरी तस्वीर से तेरा क़िरदार ढूँढ लाया हूँ ।

khatarnak bhoot 

आतिश ए जहाँ में सुकून नहीं ,

जिस्म को रूहों में फ़नाह होने दो ।

pix taken by google