साँझा चूल्हा जॉइंट फॅमिली a true short story ,

0
1929
साँझा चूल्हा जॉइंट फॅमिली a true short story ,
साँझा चूल्हा जॉइंट फॅमिली a true short story ,

साँझा चूल्हा जॉइंट फॅमिली a true short story ,

देश आज़ाद हो चुका था , सब ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे , ये कहानी उस आदमी की है जिसका नाम

राघव है जो आज भी साँझा चूल्हा की परम्परा पर यकीन रखता है , राघव के पिता जी तीन भाई थे चंदू, बिंदू ,और

गोविन्दधर ज़मीन जायदाद बहुत थी इसलिए नात रिश्तेदारों को भी साथ बसा लिया करते थे उस ज़माने में , इन तीनो

की भी अलग अलग संताने हुयी परिवार बंटा चंदू और बिंदु का परिवार एक गाँव में बसा तथा गोविन्दधर का परिवार दूसरे

गाँव चला गया ,

अब बचे दो भाई चंदू और बिंदु का परिवार , चंदू के चार बेटे हुए जिनमे से सबसे बड़ा शादी के बाद ही स्वर्ग सिधार गया

दूसरा राममिलन , राघव और यज्ञनारायण कहानी चदु के तीसरे बेटे राघव के इर्द गिर्द घूमती है , राघव पांचवी पास बड़ा

सीधा साधा बेरोज़गार नवयुवक था उसका बड़ा भाई राममिलन पुलिस वाला था , चूंकि चंदू गाँव के पवाइदारों में गिना

जाता था इसलिए उसके चारों बेटो की शादी बड़े रईस घरों में हुयी थी , दहेज़ में काफी सोना चांदी बर्तन भाड़ा मिला था ,

horror stories for kids,

उस समय गाँव में साँझा चूल्हा की परंपरा थी सब एक साथ संयुक्त परिवार में रहते थे परिवार को पलना घर के मुखिया

की ज़िम्मेदारी होती थी , चूंकि राघव का बड़ा भाई राममिलन पुलिस में था इसलिए घर के ज़िम्मेदारी राघव के ऊपर थी ,

राघव बेचारा इतना सीधा साधा था की परिवार के भरण पोषण के लिए दूध बेचने जब शहर जाता तो लोग उसका दूध नहीं

खरीदते थे , क्यों की वो दूध में पानी नहीं मिलाता शहर के लोगों की ज़बान में पानी मिला दूध लगा हुआ था उन्हें शुद्ध

दूध का स्वाद पसंद नहीं आता था , इसलिए राघव ने दूध बेचने का धंधा बंद कर दिया ,

 

और गाँव में ही खेती बाड़ी करने लगा यज्ञ नारायण भी खेती के काम में राघव का हाँथ बटाता था , उस समय खेती भी

भगवान् भरोसे थी सिंचाई का कोई साधन था नहीं खाद और कीटनाशक कोई जानता ही नहीं था , इसलिए खेती के दम

पर साल भर का भोजन तक उपलब्ध नहीं हो पाता था कमाने वाला एक खाने वाले दर्ज़नो , आखिर कार बहुओं के जेवर

बेचने पड़ गए तब कहीं जाकर घर के लोगों का पेट भर पाता था , राघव को रामायण मंडली में गाने बजाने का बड़ा शौक

था इसलिए उसका ज़्यादा समय भगवत भजन में ही जाता था , घर में जब लौट कर आता तो बीवी ताना मारती आगये

छल्ले बल्ले करके , तो राघव का यही जवाब होता सब संपत्ति रघुपति की है , और मुँह से रजाई ढांक के सो जाता ,

वक़्त गुज़रता गया राघव अब राघव जी हो चुका था , गाँव मेडी में बड़ी इज्जत थी राघव जी की , मगर राघव का बड़ा

भाई राममिलन जब भी घर आता राघव पर जूते बरसाता था ,

 

परिवार अब सबका अलग हो चुका था राघव को राममिलन और अपने बच्चों के शादी ढूढ़ने का ज़िम्मा सौंपा गया राघव

राममिलन की बेटी के लिए एक रिश्ता पक्का कर आया , लड़का तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था , मगर थोड़ा

सांवला था और लड़के का बाप आरा मशीन में मज़दूरी करता था , राममिलन को जब पता चला तो उसने राघव जी की

जूतों से धुनाई कर दी , राघव ने अब रिश्ता ढूढ़ना बंद कर दिया , उसने अपने बेटी की शादी की लड़का कोयले की कालरी

में काम करता था दहेज़ ५०० तय हुआ था लड़के को टी बी थी वो शादी के तुरंत बाद ही चल बसा , अब बेटी मायके में ही

रहती है ,

 

राघव के चार बेटे और हैं जो परदेश में कमा रहे हैं उन चारो की पत्नियाँ राघव जी को एक लोटा पानी देने को तैयार नहीं

है , बीवी का लम्बी बीमारी के बाद स्वर्गवास हो चुका है , राम मिलन और यज्ञ नारायण भी अब इस दुनिया में नहीं रहे

और राघव जी खुद खट्ट पकडे लेटे रहते हैं , और बेवा बेटी उनकी सेवा करती है ,

आज भी जब कोई राघव जी से उनका हाल चाल पूछता है तो वो यही कहते हैं सब संपत्ति रघुपति की है मेरा कुछ नहीं है।

140 words shayari

इति शिद्धियेत