हमारे गप्पू भैया a short motivational stories in hindi
हमारे गप्पू भैया a short motivational stories in hindi , इस कहानी में एक नहीं दो गप्पू भैया है बात ९० के
दसक की है जब सरकारी नौकरी थोड़ा जर जुगाड़ से मिल जाती थी अब आते हैं गप्पू भैया १ पर जो की बड़ी रईस फॅमिली
से बिलोंग करते थे उनके चाचा बड़े पापा सब ऊंची ऊंची रैंक में पदस्त थे गप्पू भैया को भी वर्दी पहननी थी तो पप्पू भैया
ज़ोर शोर से पुलिस की भर्ती की तैयारी में लग गए रोज़ सुबह तड़के उठना रनिंग करना बॉडी बनाना आदि शामिल था ।
गप्पू भैया बड़ी तन्मयता के साथ वर्दी पहनने को आतुर थे ,
चलो आखिर भर्ती का भी दिन आया गप्पू भैया १ नाप तौल में तो बराबर निकल गए फिटनेस के मामले में एक नंबर थे
गप्पू भैया १ , अब बारी आई ऊंची कूंद की तीन लड़को के बाद गप्पू भैया १ का नंबर आया , वो कहते हैं न तक़दीर में
जितना होता है उतना ही मिलता है , इंसान कितनी भी कोशिश कर ले , आखिर कार पप्पू भैया ने पूरे दम ख़म के साथ
जम्प मारी मगर विधि का विधान कुछ और ही कह रहा था हवा में ही गप्पू भैया १ की दोनों टाँगे आपस में फंस गयी और
जब वो नीचे गिरे ग्राउंड में तड़ाक की आवाज़ गूंजी बेचारे गप्पू भैया १ की एक टांग टूट चुकी थी , वहाँ खड़े सिपाहियों ने
इन्हे ग्राउंड से अलग कर दिया अगर भर्ती पीरियड में कोई दुर्घटना हो जाती है उसका जिम्मेदार प्रशासन नहीं होता ,
उनके मित्रों ने घर फोन किया एम्बुलेंस बुलाया गया , काफी दिनों तक उनका उपचार हुआ , किसी तरह वो ठीक हुए
थोड़ा लंगड़ा लंगड़ा कर चलते थे ऑपरेशन में टांग में स्टील की रॉड डालनी पड़ी थी ,
उनकी टांग ठीक होने के लिए परिवार वालों ने मन्नत मांगी थी , टांग ठीक होने पर भव्य जगराता हुआ खैर गप्पू भैया १
खुश थे वो अपना बिज़नेस देख रहे थे, सब कुछ आराम से राजीखुशी चल रहा था फिर हुआ यूँ की एक दिन गप्पू भैया १
लॉन में टहल रह थे और पता नहीं कैसे अचानक से फिसल गए और उनकी दूसरी टांग भी टूट गयी ।
उस पर भी प्लास्टर चढ़ा वो टांग भी आखिर कार ठीक हो ही गयी , अब गप्पू भैया १ आराम से अपना धंधा सम्हाल रहे
हैं और खुशहाल ज़िन्दगी जी रहे हैं , वो कहते हैं न ईश्वर की मर्ज़ी के आगे किसी की नहीं चलती , वो सबका दाना पानी
वहीँ से तय करके भेजता है ।
उधर गप्पू भैया २ के पिता जी फारेस्ट में बड़े बाबू थे , उन्होंने दैनिकवेतनभोगी कर्मचारी के रूप में मस्टररोल में गप्पू
भैया २ का नाम जोड़ रखा था , गप्पू भैया २ वहीँ ऑफिस में डैलीवेजेस में बाबू का काम करते थे जैक जुगाड़ तगड़ा था ,
पप्पू भैया फारेस्ट गार्ड बनगए तुरंत ट्रेनिंग में चले गए वापस आये तो फिर डेढ़ साल बीट इंचार्ज रहे और उनके प्रमोशन
पर प्रमोशन होते गए , आज वो रेंज अफसर हैं और उनके साहेब लोग उनके नीचे रह गए , गप्पू भैया २ उनके साहेब बन
गए , मगर गप्पू भैया 2 का नेचर बहुत अच्छा था सभी साहबों के साथ हमेशा ताल मेल बिठा कर रखते थे तो आज ख़ुशी
ख़ुशी अपनी नौकरी कर रहे हैं ।
the end
pix taken by google