हिंदुस्तान के बापू की फोटो नोटों में छपती है funny shayari ,
हिंदुस्तान के बापू की फोटो नोटों में छपती है ,
उसी बापू की जनता फुटपाथ पर दाने दाने को तरसती है ।
कोख में मर जाती हैं बापू के वास्ते ,
गली नुक्कड़ में बिक जाती हैं बेटियाँ बापू के वास्ते ।
तू भी उड़ता है मैं भी उड़ता हूँ ,
उड़े उड़े से हैं हम दोनों गोया तभी तो धुआँ धुआँ सा दिखता हूँ ।
हथियार जिसका हो कांधा भी उसका हो , ये
सियासी बात है साहेब बस सियासी जुमलों सी लगती है ।
जिस्म रेज़ा हो तो कोई बात नहीं इरादे फौलाद के होना चाहिए ,
फ़िक्र ए दौर में बस न उम्रें बर्बाद होना चाहिए ।
जला के निकले जो नशेमन अपना ,
ज़माने में खानाबदोशो को फिर चारागार नहीं मिलते ।
मुक़म्मल हो मेरे दिल का फासला तेरे दिल तक ,
शहर की पक्की सड़कों से क्या कच्ची पगडंडियां नहीं मिलती ।
साँस टूटे तक हाँथ नहीं छूटा करते ,
अब ज़माने में वो हमदम नहीं मिला करते ।
घरों के जीने दिल की हदों तक मत बढ़ाना ,
उजड़े आशियानों के तमाशबीन हैं सबके सब ।
वक़्त कब किस पर रहम करता है ,
एक उम्र के बाद शाख से टूट कर ज़मीन पर गिर गए पत्ते ।
ख़ाक मिटटी का पुतला कहीं सोता होगा ,
तेरा हर लम्स सिसकता है मेरी हर साँस के साथ ।
लिखोगे जब भी मेरा नाम अपने लब पर तुम ,
मेरा वादा है मेरी ही कोई ग़ज़ल महकेगी ।
दिल का ताल्लुक़ है तेरी यादों से ,
अब बी तेरी बातों पर बड़ी नाज़ुक सी ग़ज़ल निकल आती है ।
शाम ए ग़ज़ल से रिश्ते निकल आते हैं ,
जब अकसर शब् ए फुरक़त में खुद की खुद से जुस्तजू होती है ।
धर्म जाती मज़हबी इल्म से सरोकार नहीं है ,
शाम बज़्म में इस्तेकबाल हो सबका तह ए दिल की गुज़ारिश ही यही है ।
कलम से इसके न कोई मज़हब की बात करे ,
ये हर एक अक़्स स्याही से सीसे में उतार लेती है ।
ज़मीन की दरारें मिट भी सकती हैं ,
दिल पर खींची लकीरों को खुद ख़ुदा भी मिटा नहीं सकता ।
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