आँखों में रुदन साँसों में कम्पन hindi shayari ,
आँखों में रुदन साँसों में कम्पन ,
सूखते कण्ठ प्यासे अधर है धरा ग़र रक्त रंजित ज़बान ख़ामोश क्यों है ।
सजा कर खण्ड जिव्या पर धरा का क़र्ज़ चुकता कर ,
रुधिर की श्वेत कणिकाओं से न सारा रक्त थक्का कर ।
तेरा गोल ख़गोलीय चरित्र चित्रण ,
किरदार वर्णित कर रहा तू भू भूमि धरा वसुंधरा सा भूगोल है ।
ये अक़्स जो प्रतीत होते हैं ,
नैन ओ नक़्स दो अतीत जैसे हैं ।
समय की स्वछन्द धारा में ,
तरल जीवन सरल सुन्दर मनोरम क्षण प्रतिक्षण क्रीड़ाएं रचता है ।
बड़ी धूल फाँक के आये हैं जहां भर के कूचे से ,
अब तेरे दर पर भी ग़म ए मुफ़लिस को इश्क़ का फांका न पड़े ।
मुद्दे बहुत हैं मेरे दिल में इंतेखाब के वास्ते ,
कहीं तो ऐसा दाख़िला मिले की मरीज़ ए दाना को दर्द ए दिल का मुद्दा न मिले ।
इख़्तिलास ए ज़ीस्त का परचा तो अब्वल था प्यारे ,
बस इंतेख़ाब ए इश्क़ को कोई दर्ज़ा न मिला ।
अपना कत्थर गुद्दर सम्हाल ले प्यारे ,
इस रात का न कोई सवेरा है न कोई सानी ए ख़ुदा है प्यारे ।
खदानों की खंतियों में डुबोकर मारा जाता है इश्क़ ,
अवाम है क्रोधित जम्हूरियत ख़ामोश सी क्यों है ।
नींदों की बंज़र ज़मीन पर दिवास्वप्न बोलें ,
सींच कर अश्रु की गंगधार से खुश्बुओं के ज़हन में मोती पिरो लें ।
इश्क़ करना पुरानी आदत है ,
हमारे शहर में लोग दाग दामन में छोड़ जाते हैं ।
शहर के क़ूबत पर अटक आई है बात ,
दाग जिसके भी हो हंस कर क़बूल करें ।
तू मेरे नक़्स ए क़दम न ढूढना ,
दाग दामन में छोड़ जाऊँगा ।
अब हुम्माह ए कहकशां बज़्म में नहीं होते ,
अब टूटने वाले खिलोने बाज़ार में नहीं बिकते ।
हौज भर भर के लाते हो समंदर ऐसे ,
दिल खुद मुसीबतों पर पहाड़ बन फट पड़ा हो जैसे ।
pix taken by google