आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी alfaaz shayari ,

0
2451
आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी alfaaz shayari ,
आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी alfaaz shayari ,

आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी alfaaz shayari ,

आईन ए सूरत पर होती है ग़ज़ल ऐसी ,

रु ब रु ए इश्क़ में हूबहू सनम जैसी ।

 

तस्बीह फेरते ग़र ख़ुदा मिलता ,

मेहबूब ए इलाही हर इब्न ए इंसान के माथे पर गुदा मिलता ।

 

उफ़ भी नहीं कहते सोचने का मौका भी नहीं देते ,

सीधा तीर ए जिगर के पार रखते हैं ।

sad shayari 

आज जो उंगलियां उठाते हैं तेरे जज़्बे पर ,

कल ज़माना तेरे बाब ए सुखन को सलाम ठोकेगा

 

तहरीर ए वक़्त की इबारतें लिखते ,

आदम ए खुल्द की सूरतें बदल जाती हैं ।

 

जहां के ज़र्रे ज़र्रे में मोहब्बत की ख्वाहिश है ,

दिल ए नाचीज़ को वादे वफ़ा की आज़माइश है

 

शब् ए फुरक़त में नींद आती नही ,

ख़्वाब आँखों में सजाकर सोता है कौन ।

 

नींद भर के आँख सोती नहीं ,

तेरे ख़्वाबों को तह ए दिल का मेहमान करके

 

आँखों के रास्ते वीरान पड़े हैं सारे ,

न ख़्वाबों का कारवां न नींदों का सिलसिला ।

 

खार ख़्वाबों के ग़र सुकून देते ,

फसल ए गुल बाद ए मौसम के भी खिला करते

love shayari 

होता जहां का हर मंज़र हसीन ,

ग़र ख़्वाब तेरे मेरी नींदें न लूट लिए होते ।

 

दिल के ज़ख्मों को न छेड़ो नासेह ,

गोया सोयी पड़ी रात दर्द के गीत गुनगुनायेंगे ।

 

जुगनुओं सी जलती आँखें ,

जाने किसकी राहों में नज़र रखती हैं ।

 

नयी सुबह आगाज़ ए बिश्मिल के वास्ते ,

क्या ज़िन्दगी सिमटी है महज़ ख़ाक ए सुपुर्दगी के रास्ते ।

 

मन चंचल विचलित है नभ पर ,

कोई अनंत बत्तखों की श्रृंखलाएं ,

विद्यमान हैं जल पर

 

रात्रि के चारों प्रहर निर्भीक निडर निश्छल जल में ,

चहुँ और प्रखर है जलकुम्भी ।

 

हँसते हुए चेहरों में खलिश होती है ,

कुछ तज़ुर्बा ए इश्क़ कुछ बोहतान की दबिश होती है ।

 

गरूर ए इश्क़ में फ़िरता था ज़माना सारा ,

अब कोई नाम न लेगा रूबरू ए बोहतान के बाद ।

pix taken by google