इत्तेफ़ाक़न था तेरा मिलना इत्तेफ़ाक़न था गुलों का खिलना mohabbat shayari,
इत्तेफ़ाक़न था तेरा मिलना इत्तेफ़ाक़न था गुलों का खिलना ,
उसपर बेइत्तेफाक़न दिल गुल ए गुलज़ार हो गया ।
आते जाते हर मंज़र में वो कारवाँ तलास करता हूँ ,
ढूंढता हूँ तेरे पलछिन हर रहगुज़र में आशना तलास करता हूँ ।
दो खुराकी के बाद बदहज़मी जाएज़ थी ,
ये सियासी बेड़ियाँ चैन ओ सुकून से सोने नहीं देती ।
रोचक तथ्य की मनः स्थिति भाँप कर ,
वो अंतर्वेदना को बेज़बानी में महज़ पीता रहा ।
जहाँ बस जनाज़ों की पेसगी सी है ,
हमने अपने दिल के अंजुमन में अरमानों का मक़बरा बना के रखा है ।
तार्रुफ़ ए ज़िन्दगी हुआ खूबसूरत अदाकारा की तरह ,
रुख से जब नक़ाब हटा हम ही उसके क़ाबिल नहीं निकले ।
मेरी इस बेहयाई को शायरी का नाम न दो ,
दिल के फफोले हैं शाम ए बज़्म में फूट निकले हैं ।
जिन कुनबों में होते थे आशिक़ों में किस्से हरदम ,
अब गलियों में क़ाफ़िलों का निशाँ नहीं मिलता ।
ज़बान ज़बान पर क़हक़शाँ बन कर उभरती थी दास्तान ए लैला मजनू ,
आज किसी ने आशिक़ों के वजह ए क़त्ल का ज़िरह तक नहीं छेड़ा ।
किसी का दिल टूटा किसी का आशियाना गया ,
बेज़बान इश्क़ न समझा दीन ओ मज़हब से दीवाना गया ।
चार पैसे कमाने का जरिया कहकर ,
अच्छा खासा खड़ा दिल का कारोबार ए इश्क़ लोगों ने तोड़ दिता ।
दम घुटता है साँस लेने में ,
तेरी यादों का मेरे सीने पर कसाव ज़्यादा है ।
रात ने सीखचे खींच कर सेज़ पर पाला डाल दिया ,
जिस्म सो गया बेख़बर दिल बेचारा करवटें लेता रहा ।
तेरी यादों के दरीचे से मसलन खींचकर ,
तू हर वक़्त सीने से लग के मेरे सोता है ।
पीने वाले पी गए मैक़दे को पैमाना करके ,
मेरी नज़रों के अब्र ए आब दिल के तहख़ानों में कहीं छुपते नहीं ।
तेरी यादों की दस्तकारी थी वरना ,
कभी ख़्वाब भी इतने हसीन होते हैं ।
हम भी तो देखें हुस्न ए क़ातिल में दाँव कितने हैं ,
कैसे तेरी यादें पैंतरे बदल बदल के घाव करती है ।
तुम जो ज़ख्मों की बात करते हो ,
मेरे दिल पर हर दाग दिया तेरा है ।
pix taken by google
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