इश्क़ क़ुर्बानी मांगता है love shayari,

0
1101
इश्क़ क़ुर्बानी मांगता है love shayari,
इश्क़ क़ुर्बानी मांगता है love shayari,

इश्क़ क़ुर्बानी मांगता है love shayari,

इश्क़ क़ुर्बानी मांगता है,

जिगर में आग , आँख में पानी मांगता है ।

 

तक़दीर की तहरीर में वो था ही नहीं ,

जिसकी जुस्तजू में जाया की हमने तमाम उम्र ।

 

एक इबादत एक बंदगी एक ख़ुदा भी ,

बनके रहता है रहबर साथ मेरे होके जुदा भी ।

 

ज़मीन के ज़र्रे भी आफ़ताब हुआ करते हैं ,

शागिर्दों के सर पर जब उस्तादों के हाँथ हुआ करते हैं ।

sad shayari 

उठ रहे हैं धुआओं में सरारे शोले बनकर ,

आग की लपटों को मिल रही हैं हवाएं रहबर बनकर ।

 

अंधेरों में भी तन्हा होने नहीं देता ,

तेरा साया बनके रहबर मेरे साथ साथ चलता है ।

 

चाँद पर सरगम तारों पर ग़ज़ल होती है ,

फनकारों की फ़नकारी में उस्तादों की नज़र होती है ।

 

हर बात दूसरों की मुँहज़बानी ही दिल को अच्छी लगे ज़रूरी तो नहीं ,

कुछ अंदाज़ ए गुफ़्तगू में खुद की भी हाल ए बयानी होनी चाहिए ।

 

उस्तादों ने थाम रखी हैं शाम ए बज़्म हुज़ूर ,

गोया ख़ाक में मिल जाती शाम ए बज़्म ज़रूर ।

 

रात की कालिख़ भी तिलिस्माती है ,

घुप अंधेरों के बर्क़ में जाने कितने राज़ ए गुल खिलाती है ।

bewafa shayari

ज़माने से चुरा लाया था आँखों आँखों में तुझको ,

जाने किस बर्क़ में छुपायेगा दिल ए नादान तुझको ।

 

किसी की ख़ातिर कोई हँसते हँसते सूली चढ़ गया ,

ज़मीन को ख़बर कब हुयी इश्क़ की ख़ातिर आस्मां का बदल भी फट गया ।

 

ज़हन में ज़िद है जहां जला के राख़ तो कर दूँ ,

गोया ख़ाक ए ज़मीन में अपना नशेमन कहाँ छुपाऊंगा ।

 

परिंदों को ज़मीन से इन्साफ की उम्मीद नहीं ,

गोया आसमानो में आशियाना तलाश करते हैं ।

 

इश्क़ का नूर छलकता है निगाहों में तेरी ,

डूबी डूबी नज़रों में छुपा रखी है सूरत किसकी ।

 

शहर में कौन है पाक दामन बताओ यारों ,

हम भी उसके ही उसके ही कूचे में बसर कर लेंगे ।

pix taken by google