इश्क़ की अदावतें हैं ये रात भर जलते जलते romantic shayari,

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इश्क़ की अदावतें हैं ये रात भर जलते जलते romantic shayari,
इश्क़ की अदावतें हैं ये रात भर जलते जलते romantic shayari,

इश्क़ की अदावतें हैं ये रात भर जलते जलते romantic shayari,

इश्क़ की अदावतें हैं ये रात भर जलते जलते ,

सेहर होने तक ख़ुद बा ख़ुद बर्फ़ के टुकड़ों में पिघल जाएँगी ।

 

सरक के सो ले अपनी यादों की तरह ,

आख़िर बिस्तर में अभी भी आधा हक़ तो तेरा है ।

 

इश्क़ की तस्वीर का हर रंग ख़ुशनुमा सा था ,

फिर भी एक लब के हासिये पर आकर के जान अटकी है

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वो समझते थे बिछड़ के उनसे कहकशां न होंगे ,

गोया शाम ए बज़्म में ग़मों के तराने रोज़ सजते हैं

 

मिजाज़ ए मौसम रुख़ पर सजा के निकले वो ,

ज़ुल्फ़ों को सर कर लो कहीं सरे राह बिजलियाँ न गिर जाएँ ।

 

नया शाकी नया पैमाना ,

धुले धुले से मौसम के नए गीत गुनगुनाने दो ।

 

ये नज़ारे ये फ़िज़ाएं ये लहराती हवा ,

कुछ तो मौसम ए गुल ने चुग़लख़ोरी की अब से पहले कलियों को यूँ न आती थी हया।

 

बेमौसम ही बरस जाते हैं उड़ते बादल ,

या ज़ौक़ ए आशिक़ी का भी इरादा है ।

 

मौसम ए ख़ुमारी का दिखता है इब्न ए इंसान पे असर ,

आब ए ज़म ज़म को शराब कहके निगल जाता है ।

 

मौसम ए मिजाज़ भर भर के पिला रहा है साक़ी ,

ज़ाम नज़रों से तर करके पिला रहा है बाक़ी ।

 

बेदर्द मौसम के नज़ारे साफ़ नज़र आने लगे ,

मरीज़ ए दवाख़ाना की एक खाट पर फिसले दिल तो दूजे में टूटी पसलियों वाले लुढ़क जाने लगे

 

तुम मर जाओगे इश्क़ करते करते साहेब ,

ये हमारे शहर के दस्तूर में है बहारें कोई और लूट ले जायेगा

 

रात को बड़ा धीरे धीरे चलता है ,

मौसम की सीलन है हिज्र ए तन्हाई में वक़्त बड़ा धीमे धीमे जलता है

 

रात को कभी तन्हा होने नहीं देता ,

वक़्त मेरे साथ साथ जलता है

 

बुझा दो बत्तियाँ की रात तन्हा है ,

कोई देखे न जब खुद की खुद से जंग होती है ।

 

तेरी नज़रों ने जो मैदान ए जंग छेड़ रखी है सरहदों की तरह ,

तोड़ न देना नाज़ुक है दिल मेरा काँच के घरोंदों की तरह ।

 

कल तक ळम्हे लम्हे में था वजूद उसका ,

आज ज़र्रे ज़र्रे में कोई निशान नहीं

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ख़ुद का कोई वजूद नहीं,

फिर भी जाने कैसे कैसे किरदार निभा देते हैं लोग

pix taken by google