इश्क़ के मसले ने तो अब जाके तूल पकड़ा है love shayari,
इश्क़ के मसले ने तो अब जाके तूल पकड़ा है ,
गुमराह अंधेरों की परिस्तिश में कौन देर तलक़ ठहरा है ।
अक़्स दर अक़्स रक़्स करते मंज़र ,
आजकल ख्यालों के बेलग़ाम घोड़े किसी ठौर भी ठहरते नहीं ।
उम्र के साथ वक़्त की रफ़्तार घट गयी जैसे ,
मैं आगे चलता गया मेरा साया थक के पीछे सोता रहा ।
दुनिया सबके रहने लायक होती है कहाँ ,
ज़माने की भीड़ में हर शख़्स हमसाया तलाश करता है ।
लाख मिलते हैं नशेमन को जलाने वाले ,
शब् ए फुरक़त में कोई हमनशीं नहीं मिलता ।
बस तेरी क़ुरबत न रास आयी ज़माने को ,
कहने को तो सारा ज़माना बस दीवाना है ।
हमने तो बस मुँहज़बानी ही जंग की है ,
गली के नुक्कड़ में सबके सब साथ मिलके दिल लड़ाते हैं ।
मामले को तूल देकर सियासी खुद कुनमा पकड़ पैठे ,
अब इन्ही ज़मीनी ज़र्रों को जनता रकबा समझ बैठी ।
मौसमी हवाओं से बिखरा पड़ा हो वज़ूद जिसका ,
आजकल वही ज़माने की तस्वीर बदल देने की बात किया करते हैं ।
ख़ाक मिटटी के बने पुतलों की औक़ात तो देखो ,
ज़मीन के ज़र्रों पर बसर करके भी आसमानी फरिश्तों की बात किया करते हैं ।
नन्हे फूल के नज़रिये से ज़माना देखो ,
सारा गुलिस्तां कहकशां सा करता है ।
हर शख्स अजनबी इमारतों का शहर बियाबान लगता है ,
साथ साथ रहते हैं हमसाया बनकर गोया हर सूरत ए आदम अनजान सा लगता है ।
मिलते नहीं कलपुर्जे अब दुकानों में ,
उस दौर ए आदम के अब बहुत कम ही इंसान हुआ करते हैं ।
जाने क्यों हर शख़्स को गुज़रे वक़्त से मोहब्बत है इतनी ,
जूना वक़्त कितना भी संगदिल हो या शिकस्ता हो ।
मन के गढ़े हर फ़लसफ़े लेखनी तू क्यों कर रोये ,
कागज़ गीला कर दयो तोसे तनिकौ सब्र काहे न होये ।
pix taken by google
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