उठती थी खेतों में ढेंकुर की चुर्र मुर hindi literature poetry,

0
1302
उठती थी खेतों में ढेंकुर की चुर्र मुर hindi literature poetry,
उठती थी खेतों में ढेंकुर की चुर्र मुर hindi literature poetry,

उठती थी खेतों में ढेंकुर की चुर्र मुर hindi literature poetry,

उठती थी खेतों में ढेंकुर की चुर्र मुर ,

सका गयी रहट के बैलों की घंटी भी कहाँ जाने।

 

नहीं आता मज़ा चित्रपट की विविध भारती में ,

साजन जी डी टी एच के ऍफ़ एम् में वो रेड़ुआ का मज़ा है कहाँ ।

 

अब तो मोर अभाभट अहिमक लक्का ,

सांझ सकारे पल्सर २२० की रेस लगावै हम जाने ।

 

बिहाने का कलेवा दुपहरिया का लंच होइ गया ,

अब तो काज गमन में भी कढ़ी भात नहीं हक्का नूडल्स बने है हम जाने ।

 

खो गए परदनी लंगोटी कक्का पहने पतलून कान माँ ठूसे फून,

मागे तम्बाकू चून बलम जी हम जाने ।

 

sad poetry in urdu about love 

अब तो घूंघट भी हो गए शर्मिंदा ,

टीवी सनेमा का चुम्मा ही बस है ज़िंदा मर जाओ बिना डिस्पिरिन की गोली ।

 

चिल्लम चपाटी ठर्रा चापे दिन दहाड़े मटके डॉक्टरबा,

काज ब्याह माँ बसी न होती ,

सरपट भागे बिहान सकारे ।

 

दुलहा पंडित और दुल्हनिया सगळी रात मरे अहिमक ठण्ड के मारे ।

भाग बराती ठाढ़ दुआरे माघ पूस की बात ,

ठाड़ी पड़ी जो ऐसी ठण्ड की हो गयो परम्पराओं पर जैसे बज्र कुठाराघात ।

 

घंटन बैठे रगड़त ऐड़ी , सौख न धरी खटाये ,

नयी नवेली नार कसम से गज़ब क़यामत ढाये ।

 

inspirational status in hindi 

पुटकी वाला भात नयी नवेली नार पकाये ज्योनार ,

गैस सब्सिडी ख़त्म होइ गयी कैसे करम दण्ड हमारे ।

 

जेतबा से पिसना पीस के गीले काँदौ माँ बटुआ धर दी छूँछ ,

करम जले की चाकरी किश्मत गयी अभागन रूठ ।

 

तोरे राय नून चोकरा से कौनौ भूत भागे न भागे ,

दो पैरासीटामोल एक एंटिबॉयोटिकवा से बुखार होइ जावेगा दूर ।

 

तुमहू का गर लागे लाज मोरी छोहरिया ओढाई के आ जाओ आज ,

मैं बिरहन तज लोक लाज सब नटवर नागर ना जाओ आज ।

 

बन बन भटके जियरा बयार , मैं बिरहन तस बारी रे ,

मंत्र मुग्ध श्यामल अधिलोचन निसदिन मोरे नयन तोहका निहारी रे ।

urdu poetry sites 

pix taken by google