उतरेगा जूनून ए मोहब्बत तेरे भी सर से romantic shayari,
उतरेगा जूनून ए मोहब्बत तेरे भी सर से,
जब तू भी जलेगा शर्द की रातों में तपती दोपहर से ।
सड़क पर साथ जिसके हो तू मुड़ जाता है बहाने से ,
तेरा अब भी बेबाक़ मुड़ जाना ख़लिश दिल की मिटाता है ।
कौन था इश्क़ से पहले ज़माने में क़ातिल ग़ालिब ,
क़त्ल भी हम हुए क़त्ल का सामान भी हमारा था ।
नींद आती नहीं है तुझसे इक़रार ए मोहब्बत के बाद ,
दिक़्क़त सिर्फ इतनी है दिल में न जाने क्यों खलबली सी है ।
शहर का शहर मलबे में दब गया होगा ,
तब कहीं जाकर इंसान ख़रपतवार सरीखे उग गया होगा ।
अब तो शहर के पत्थरों में भी सियासत है सनम ,
ऐसा करते हैं जंगल को भाग चलते हैं ।
हर्फ़ दर हर्फ़ बयान इश्क़ करें गौर तलब ,
मेरी शायरी के सरमाये में तेरी हाज़िर जवाबी शाम ओ सेहर ।
हो कोई मुसीबत या सैतानी नज़र का साया ,
माँ की आगोश में बच्चे दोनों जहाँ की आफतों से महफूज़ रहते हैं ।
मौत ग़र एक सगूफा है मैं उसको सजाना चाहता हूँ ,
ज़िन्दगी जीने नहीं देती मैं ज़िन्दगी से मोहलत माँगता हूँ ।
टूटते ख़्वाब सँजो लाया हूँ, मैं तेरी यादों के मोती पिरो लाया हूँ ।
एक भरम थी मोहबत तेरी , एक भरम में ही रहना चाहती है मोहब्बत मेरी ।
वक़्त नहीं मिलता क्या कहीं और तबाही मचाने के लिए ,
क्यों बस मेरी जान की दुश्मन बनी फिरती हैं यादें तेरी ।
ख़्वाहिश यूँ जगी थी तन्हा मन में , दिल ए नाशाद को आबाद करेंगे ,
खुद जलाएंगे अंजुमन अपना और किसे बर्बाद करेंगे ।
इस नज़ाक़त से उतरी थी वो बुत ए मुजस्सिम सी जिगर में ,
ख़्याल बेपर्दा हो जाते तो नज़र भर के देख लेता ।
गुलों का काम था चमन को महकाना ,
सैयादियों से ये भी देखा न गया ।
ज़र्द पत्तों से अर्क़ बनता है ,
जल कर भी गुल अंजुमन को ख़ुश्बू देता है ।
bhoot pret ki sachi kahaniyan,
ज़मीन ए ख़ाक पर स्तुति होती है वहीँ पर नमाज़ होती है ,
फ़िर किस ख़ुदा के वास्ते इंसानियत तबाह होती है ।
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