उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं sad poetry in english urdu ,
उम्र के इस दौर में भी बचपन के खिलौने याद आते हैं ,
जिन्हें पाने की ज़िद में दिल अक्सर अब भी टूट जाते हैं ।
दिल धड़कता है मेरा साँस अभी ज़िंदा है ,
फिर भी मेरे दिल की ख़ुशी मेरे जीने से शर्मिंदा है ।
गज़ब की गुमसुदगी में जी रहा हूँ मैं ,
तुझसे पहले वादियों में क्या ये आलम ए दस्तूर न था ।
उम्र ए नादानियों में वो ,
कम्बख़्त खिलौनों से खेलते खेलते जाने कब दिल से खेल गया ।
ज़मीन का बंदरबाट a short story ,
वो गया था जब सब हवा हवा सा था ,
गोया आएगा जब लौट के तूफ़ान मचा जायेगा ।
ग़म ए उल्फ़त के नज़ारे देखो ,
गोया इधर मैय्यत मेरी उठ रही थी उधर वो गीत गुनगुनाते निकला ।
जश्न ए शाद देखा दर दर बिछा हुआ ,
निकला कहीं को था मैं कहीं पर अटक गया ।
मेरा साद ओ ग़म बस नज़रों का धोका था ,
हक़ीक़त में मुतमईन यहाँ कुछ नहीं होता ।
शाद ए दौलत न सही साथ नहीं ,
मेरा वजूद ताउम्र मेरे साथ रहा ।
दर्द ए नाशाद में उम्र ए ज़ाया करके मुफ़लिश ,
वक़्त से पहले बेज़ार हुआ जाता है ।
शाद ए जश्न का लुत्फ़ अगर मैं लेता ,
मुद्दतों बाद का ग़म आज मुझको जीने न देता ।
उन्हें दिल में बिठाया था ताज ए शानी करके ,
शाद ए जश्न के उन्माद में वो राज़ ए दिल ही सारे लूट गया ।
कहाँ से लाकर के दूँ मुतमईन ख्वाब तेरे ,
मैं शाद ओ ग़म में ही बस जश्नों का कारोबार किया करता हूँ ।
दिलचस्प मेरे किस्से तमाम रातों के ,
मुँहज़बानी में अब तू भी बेहिसाब से सुन ।
फ़िराक ए शायरी ज़हन में रह रह कर ,
ख़्याल ए यार से ज़्यादा मुब्तला कुछ भी नहीं ।
वो तो हम थे जो नहीं लिखेगे आज ,
वरना तुम तो ग़ज़ल बनके हरदम ज़हन में चढ़ती हो ।
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