कभी एक मुख़्तसर सी नज़र सीधा दिल पे असर करती थी hindi shayari dosti love,
कभी एक मुख़्तसर सी नज़र सीधा दिल पे असर करती थी ,
गोया अब तो बस उम्रें नज़र होती हैं तेरे जाने के बाद ।
दिल के हालात बड़े ज़ख़्मी हैं रश्म ए मोहब्बत के बाद ,
कभी महफ़िल नहीं मिलती तो कभी राज़ ए दिल नहीं मिलता ।
सुख़नवर तो बहुत मिलते हैं राह ए उल्फत में ,
मगर तन्हाई ए हिज्र में दिल के इर्द गिर्द कोई बाब ए सुखन नहीं होता।
बदस्तूर रवायत ए माहौल बनाया जायेगा ,
मोहब्बत के शोलों को चिलमन में शबनम से बुझाया जायेगा ।
लहरें जो मचल जाती थी चाँदनी को देख कर ,
न अब वो बहर ए बहार न वो चाँद रात है ।
शाम होते ही समंदर में जुगनू ,
बेपरवाह निकल जाते हैं लहरों की सरगम सुनने ।
सात समन्दर पार निकल जाने की ज़िद ,
शाम से ही सफ़ीने के साथ लहरों पर चाँद उतर आया है ।
समन्दर की लहरों पे सजधज के चाँद तारों की बरात चली ,
शब् ए महताब मेरे मेहबूब ए इलाही का इरादा क्या है ।
फलक पे चाँद सितारों की सेज़ सजी भी नहीं ,
दिन का सूरज रोशनी का जश्न मनाकर समन्दर में डूब गया ।
समन्दर की पड़ी रेत जल के बुझ भी गयी ,
वो लहरों की मौजों में मदहोश बना फिरता रहा ।
मैं समन्दर हूँ मुझको आरसी न दिखा ,
जाने कितने आफ़ताब रोज़ बुझाता हूँ मैं ।
बूढ़े माँ बाप थे साथ में रहगुज़र कर लेते ,
जाने कैसी औलाद थी घर के टुकड़े करके निकल गयी ।
रात का जश्न चलेगा चलने दो ,
दिल को टुकड़ों में आज जलने दो ।
ज़मीन पर समन्दर जला जला सा है ,
फ़लक़ पर चाँद बुझ गया होगा ।
रियासतें होगी सियासतें होगी ,
अवाम के आँसुओं की अपनी अपनी किस्से कहानियाँ होगी ।
ये मेरे अश्क़ तेरी आँखों में ज़ख्म कर देगे ,
इन नज़रों में आँसू नहीं दीदा ए यार के रंज ओ ग़म बहते हैं ।
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