क़फ़स में गल रही हैं रूहें dard shayari ,

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क़फ़स में गल रही हैं रूहें dard shayari ,
क़फ़स में गल रही हैं रूहें dard shayari ,

क़फ़स में गल रही हैं रूहें dard shayari,

क़फ़स में गल रही हैं रूहें ,

अब तो ठण्डी रातों में गर्म आहें भरना बंद कर दो ।

 

तय्यब ए रूह को फिरदौस कहाँ ,

जबीन ए इश्क़ में ही गुनाह हुआ करते हैं ।

 

रात शायरों की थी ज़ुल्फ़ों में अटक गयी ,

दिन के उजालों को पौफटे भी कोई ठौर नहीं

 

ये मैं नहीं कहता तेरी ज़ुल्फ़ों की घटा कहती है ,

कोई फिरदौस में जाके बेमौत मरेगा ।

 

उनके होठों पे तबस्सुम वो फ़िज़ा ए रानाई ,

ये झील सी आँखों में काजल उसपर ज़ुल्फ़ों की घटा मदमस्त है छाई ।

 

जहां पत्थरों से चमत्कार हुआ करते हैं ,

बस चमत्कारियों को नमस्कार हुआ करते हैं ।

 

रूहें बदल गयी लिबास बदल गया ,

सरगोशियों में हुयी बात क्या जो हिज़ाब उतर गया

 

वो बस जिस्मो की बात करते रहे ,

हमने तो इश्क़ में रूहों को तबाह होते देखा है ।

 

हमारी रूह पर भी उनके हुश्न का कब्ज़ा न होता ,

गोया हम भी इश्क़ से पीछा छुड़ा कर कोई और नशेमन कर लेते

 

गुज़रे ज़माने के किस्से थे शायद ,

शहर भर के सूखे दरख्तों में बहुत सी रूहें बसती थी

sad love shayari 

शहर भर में जब आदम ए सूरत ज़िंदा नहीं लगती ,

गोया मरेगा भी तो रूहानी शक्ल इब्लीस की होगी ।

 

रूह ज़ख़्मी दिल परेशान जिस्म रेज़ा रेज़ा ,

इश्क़ ने बदस्तूर लिबास भी ज़ार ज़ार किया है ।

 

तुम वीराने में मिलने आया करो ,

दिन के उजालों में इंसानो की आदमीयते देख रूहें काँप जाती हैं ।

 

दो वक़्त की रोटी का सवाल था साहेब ,

दर पे बुतकदों के बुढ़िया न मरती , गोया खण्डहरों में जाके रूहें न बसती

 

बुझी बुझी सी निगाहों में चाँद तारे टिमटिमाने लगे ,

दिल के कोने में कहीं अरमान सजा रखा होगा ।

quotes 

रूह का दर्द छुपा रखा है इन नज़्मो में ,

जिस्म का ज़ख्म क्यों नज़र नहीं आता ।

pix taken by google