कुछ फूल थे गुलशन के जो खिलने से पहले झुलस गए urdu quotes in hindi,

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कुछ फूल थे गुलशन के जो खिलने से पहले झुलस गए  urdu quotes in hindi,
कुछ फूल थे गुलशन के जो खिलने से पहले झुलस गए  urdu quotes in hindi,

कुछ फूल थे गुलशन के जो खिलने से पहले झुलस गए  urdu quotes in hindi,

कुछ फूल थे गुलशन के जो खिलने से पहले झुलस गए ,

न चमके कभी चराग वो वक़्त की हवाओं से बुझ गए

 

था हक़ उन्हें भी शब ए गुल महके बहार में ,

होने से पहले सेहर जो खार हो गए ।

 

देखा है कभी फुटपाथ पर रौंदा हुआ बचपन ,

ये कैसा था बचपन एक उम्र से पहले बच्चे सयाने बन गए I

 

ऐसे अधेड़ बच्चों को मतलब बताएं क्या,

जिनके लिए चिल्ड्रेन्स डे के मायने बेमायने रह गए ।

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आज भी जहां बच्चे मिलते हैं कबाड़ में ,

कुछ बच्चे माँ बाप को भी कूड़ा दान का सामान रह गए ।

 

बचपन कभी दबा खुद ही , कभी गैरों ने दबाया ,

घर के खर्चों की पाट पर बचपन भी पिस गया

 

कहीं बुस शर्ट के मैच की पैंट नहीं मिलती ,

तो कहीं पैबंद लगे पैंट को बुस शर्ट नहीं मिलती I

 

कितना अभागा होगा जिसके माँ बाप तक न थे,

नंगे बदन बारिश के ओले पड़े होंगे।

 

मुकम्मल तो हर सै है ज़माने की शाकी,

या तो मैं नहीं हूँ या मय में मयकशी नहीं है ।

 

कहने को मुकम्मल है दोनों का घराना,

बर्बाद अंजुमन में बिखरे गुलों का ठिकाना ।

 

कोई इतना दूर निकल जाता है अपने बचपन के साये में ,

जहां टूटे खिलौने भी उसे प्यारे ही लगते हैं ।

 

वो टूट कर रोना चाहता था अपनों से ,

मगर कोई दौड़कर बचपन भी छीन ले गया उससे ।

 

ग़ज़ब सी सिकन थी उसके नन्हे से माथे पर,

फिर दौड़ती रेल के पीछे केतली लेकर भाग जाता था ।

 

साथ हो लेता है हर क़ाफ़िले के मजमे में मेरा साया,

मेरे कांधो ने बहुत अपनों का जनाज़ा उठाया है ।

 

सुबह की चाय शाम का अखबार होती हैं ,

ये बच्चों की शरारतें बस चेहरों का इश्तेहार होती हैं ।

 

तेरे लरज़ते लफ्ज़ कहते हैं,

तेरे बचपन की कहानी एक जंग जैसी थी ।

 

कभी हवाओं से मचल जाता है ,

कभी लहरों से बिखर जाता है ।

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ये रेत् के घरौंदों सा बचपन,

किसी को समझ में कहाँ आता   है ।

pix taken by google ,