ख़ैरात की ज़मीन को सल्तनत बनाये बैठे हैं dard shayari ,

0
2461
ख़ैरात की ज़मीन को सल्तनत बनाये बैठे हैं dard shayari ,
ख़ैरात की ज़मीन को सल्तनत बनाये बैठे हैं dard shayari ,

ख़ैरात की ज़मीन को सल्तनत बनाये बैठे हैं dard shayari ,

ख़ैरात की ज़मीन को सल्तनत बनाये बैठे हैं ,

दो नैनो की डोली में चाँद तारों की बारात सजाये बैठे हैं ।

 

सियासी खरपतवारों में गर महक होती ,

तारीफ़ ए गुल से चमन भी महका होता ।

 

ज़मीन सुलग रही है आसमान जल रहा है ,

जाने किस फ़िराक़ ए यार में फिर दिल पिघल रहा है ।

 

जाने किस हक़ से ले लेता है वो मेरा नाम आज भी ,

दिल से गली कूचे तक कोई ताल्लुक़ात नहीं है ।

dosti shayari 

जागीरें तेरे ख़्वाबों की सोने नहीं देती हैं ,

खो जाने के ही ख़ौफ़ ने नैनो में उत्पात मचाया है ।

 

हर रात तफ़री में निकल जाती हैं आँखें मेरी ,

तू किसी राह ए ख़्यालों में आता तो होगा ।

 

एक सियासत की हरामज़दगी है साहेब ,

वरना अपना मुल्क़ भी दुनिया में अब्वल न हो ऐसी बात नहीं ।

 

मुद्दे तो पहले भी ख़त्म हो सकते थे दबी कब्रों के मुर्दों के ,

गोया चुनावी सियासत का ख़ूनी खेल खेलते कैसे ।

 

कलम ने रो दिया होगा खुली सड़कों पर फैले आदम के खूनो पर ,

बेज़ा ही फसल ए गुल पर यूँ आँसू बहाये नहीं जाते I

 

क़ातिलों की तारीफ़ी में बाँध बनते नहीं ,

अब तो मोहब्बतों के दरिया में नफरतों का तूफ़ान बनके उठा है ।

 

शान्त लहरों पर पड़ती सूरज की लालिमा ,

हिंदुस्तानी गंगा जमुनी तहज़ीब की परिचायक है ।

 

साँस थमती नहीं एक उम्र के बाद ,

भभकते चरागों में एक बग़ावत है ।

 

हमने रखे हैं अरमानो को बुझा कर दिल में ,

ग़म के अंधेरों में दिल जलाएंगे ।

 

दिलों की लौ बुझ के न सिमट जाए ,

शाम ए बज़्म में शमा ए इश्क़ जलाये रखना ।

 

सादगी ऐसी की जैसे उथली नदी ,

जिस्म ऐसा की लहरें शर्माएं

love shayari

रात की आगोश में कुम्हला के सोये थे नन्हे बीज ,

सुबह की पहली किरण से चारागार हुए ।

 

कुछ चेहरे थे धुंधली आँखों में ,

एक उम्र के बाद दिन के उजालों में पर्दाफास हुआ ।

pix taken by google