ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को romantic shayari ,

0
2189
ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को romantic shayari ,
ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को romantic shayari ,

ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को romantic shayari ,

ख़्याल ए ग़ालिब ही बचा लेता है शायर ओ सुखन को ,

गम ए उल्फत में ख़ुदकुशी के वास्ते हमने भी कई बार उठाये थे कदम ।

 

तहरीरें बदल गयीं मोहब्बतों की तेरे जाने के बाद ,

गोया अब थाम के निकले हो दामन ए यार तो दूर तलक साथ चलो ।

 

दबे पाँव गुज़र न सके हमारे कूचे से ,

और कहते हैं हर बार, मोहब्बत कहाँ पर मिलती है

image shayari 

चलो इस रात की सुलह कर दें ,

तुम अपने घर को निकलो हम तुम्हे रोकने की ज़िद ख़त्म कर दें ।

 

तुझे अपनी अना की ज़िद थी वरना ,

हम भी अपनी इंकिसारी न तरदीद करते ।

 

दिन के उजालों में स्याही सूख जाती है ज़फर ,

शबनमी रातों में माझी ए इश्क़ सुनाने का दस्तूर नहीं ।

 

धमनियों से सिराओं तक कब्ज़ा है ,

आदम ए दिल पर इश्क़ कोलेस्ट्रॉल का जैसे थक्का है ।

 

धड़कती है कब्र पर चादर ग़ालिब ,

कोई आदम ए रूह दबी मिटटी के नीचे तड़पता है ।

 

कभी आग कभी जलजला सा है ग़ालिब ,

मासूम से मासूम मोहब्बत भी एक बला की है क़ातिल

 

यूँ तो खूबसूरती ज़माने में बहुत है ज़फर ,

हमे एक तेरी सूरत के सिवा कोई और सूरत नज़र आती ही नहीं ।

 

किसी को इश्क़ के नग़मे पसंद किसी को इश्क़ ए जूनून ,

गोया सुकून ए ज़ीस्त की खातिर भी कोई कहता पहले मैं मरूं ।

 

कुछ बच गए हैं वो जो आदम से दिखते हैं ,

गोया मुफ़लिश ए शहर बिकने से ऐसे क़िरदार कहाँ बचते हैं ।

 

दिल वही पूरानी सी गलियों में घूम आया है ,

तब से इश्क़ ए फरसूदगी मचा के रखा है ।

 

जिनके जनाज़े का वज़न चंद सिक्कों से कम था ,

उसने काँधे से तौल डाले इंसान सारे ।

 

हर बार निकल जाता है आदम ए सूरत बदल बदल ,

सीरत से दिल फ़रेबियों का कोई जवाब नहीं है ।

love shayari 

pix taken by google