ख़्वाब इतने हैं बेलिबास मेरे love shayari ,

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ख़्वाब इतने हैं बेलिबास मेरे love shayari ,
ख़्वाब इतने हैं बेलिबास मेरे love shayari ,

ख़्वाब इतने हैं बेलिबास मेरे love shayari,

ख़्वाब इतने हैं बेलिबास मेरे ,

जाने हक़ीकत का रंग कैसा हो ।

 

रात के तकिए तले पलकों से छुपाकर ,

नींदें हर रोज़ तेरे ख़्वाब चुरा लाती हैं ।

 

सदियों पुरानी आपसी मिल्लस को तोड़ कर ,

चन्द सिक्के कमाया होगा हुकुमरानों ने तहजीबें फोड़ कर ।

 

तहज़ीब ए मुल्क़ ओ मिल्लत न पूछे कोई ,

भाई भाई साथ रह नहीं पाते थे गोया घर में दीवारें खड़ी कर लीं होंगी ।

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टुकड़ों टुकड़ों में तहजीबें बाँट कर ,

सियासतदानों ने नए मुल्क़ बनाए होंगे ।

 

धुले धुले से मुजस्सिमों सा तेरा कोरा तन ,

कोरे कोरे मन को तेरे मैं मोहब्बत के नाम न कर दूँ ।

 

हमने मोहब्बतें कर ली ,

तुम भी तहज़ीब ए गिले शिकवे भूल कर गले मिल जाओ ।

 

मोहब्बत की इबारत और रंग ओ बू ए ग़ुल की शबनम में ,

स्याही को क़लम करके नयी तहज़ीब ए हिन्दुस्तान लिखेंगे ।

 

रसूकदारों के हिसाब से मज़हब ए तहज़ीब बनती हैं ,

हाल ए मुफ़लिस का बस कोई कहीं हामी नहीं बनता ।

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क़लम उठा कभी तहज़ीबों की सरहदों के पार चलें ,

न हों दिलों की बंदिशें हर्फ़ दर हर्फ़ साथ साथ चलें ।

 

राह ए उल्फ़त की यादें और ज़िन्दगी तन्हा सफ़र,

तू कितना दूर निकल गया तहज़ीबों का वास्ता देकर ।

 

तहजीबें बदल गयीं वक़्त के दायरों से बढ़कर ,

अब तो घूँघट की ओट से भी मोहब्बतों का क़ातिलाना दौर चलता है I

 

मज़हब भी ज़रूरी है तहजीबें भी ज़रूरी हैं ,

इन्ही के दम से शहरी सियासी कारोबार चलते हैं और भिखारी पेट भरते हैं ।

 

तहज़ीबों में बस अच्छी लगती हैं सैद्धांतिक बातें ,

हक़ीकत में चारों तरफ़ बस रुपये का बोलबाला है ।

 

ये नैन ओ नक़्श वो शराफ़त ए अदायगी ,

तहज़ीब ए इश्क़ समझें या जराफत का वार कहें ।

 

कितनी लज़्ज़त से बदलता है मुखड़ा तेरा ,

इसे तहज़ीब ए हुश्न या अदावत ए यार कहें ।

 

बड़ा बेसब्रा है दिल ख़्वाब और हक़ीकत में फ़र्क़ समझे बग़ैर ,

तेरे ख़्यालों के बाद हर रोज़ मचल जाता है ।

 

कुछ उम्मीदें कुछ आशाएं कुछ ख़्वाब सजाए रखता हूँ,

मैं दौर ए मुफ़लिस में भी हौंसलों के चराग जलाए रखता हूँ ।

pix taken by google