खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी hindi literature,
खीस न निपोर बत्तीसी झड़ जाएगी ,
ये मुस्कुराहट ये हंसी ठहाका सम्हाल के रख बुढ़ापे में काम आएगी ।
थाना लूट लै गे डकैत ,
सिपाहियाने में हड़कंप मचिगा ।
काज होतै भई बिटिया सगली ससुरारी मा भूकंप मचिगा ।
दालें दरी जाती गर चक्की के पाटों में ,
जेतवा में हल जोत कर कोदौ का कना उड़ाया जाता ।
दाल जितनी थी काली सियासत वाली .
लोगों ने खुद निकाली कूटी काँड़ी फलिहाई वाली ।
आदतें बिगड़ जाती हैं गर पका पकाया मिला जाये ,
सब कुछ हज़म हो जाता है जब जी जाँगर भी लग जाए ।
टुकुर टुकुर ललचाये भँवरबा ,
उमड़ घुमड़ बदलिन संग इतराये मनवा ।
बंधी रुपैया पूँजिगर की पूँजी ,
भाँज भई सीपन जस मोती ।
कबहू माघ पूस के पाला मारिस ,
कबहूँ झुलसा जेठ बैसाख दुपहरिया मा ।
बेवजहा इश्क़ हमार मौसम के सूली चढ़ि गा अरहरिहा मा ।
संसद मा नेता के भाषन ,
काजे गमने पठौनी बिदा समधी समधिन जस गारी ।
गुदाम बकसुआ में कसके ,
रह गए उचकते अरमान दब के ।
लेहड़ों से सारा समशान अटा है ,
हर एक शख्स दूसरे को निवाला समझे डटा है ।
का नाथन के नाथ नातन का अनाथ कै के ,
कौन रुद्री पढ़ी है कौन समुंदरी बाँचे कहाँ जा बसे हो लोगन का सर्वनाश कै के।
बाग़ बगीचन अमवा बिरबन ,
झूलत झूला मोहत वन उपवन ।
चुआना न ओरमानी माने ,
सावन के रिमझिम करे मनमानी काहे ।
सूखे बिरबन मा काहे चिर्री गिरी ,
बलकत मनवा मोसे सम्हलत नाही ।
सरौने सगले जेल मा गोलहंथी चाटें ,
जीजा ससुरारी मा बैठे गौंतरी उड़ावे ।
जगत मा बैठ के पी गए जो सारी बोतल ,
तोरे नैनं के कुइयाँ मा डुबकी लगाई कैसे ।
चीमट दोमट से लीमरों के घर क्या बसेंगे ,
जो खुद के आँसू बहती बाढ़ में बहाये आये हैं ।
रोज़ रोज़ नयी दुआ देना बंद कै दे ,
बद दुआ के साथ तू का मनई न कहइहै ।
pix taken by google