ग़ुमनाम चेहरों के बीच मैं भी कभी ज़िंदा था love shayari ,

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ग़ुमनाम चेहरों के बीच मैं भी कभी ज़िंदा था love shayari ,
ग़ुमनाम चेहरों के बीच मैं भी कभी ज़िंदा था love shayari ,

ग़ुमनाम चेहरों के बीच मैं भी कभी ज़िंदा था love shayari ,

ग़ुमनाम चेहरों के बीच मैं भी कभी ज़िंदा था ,

उस आले में तस्वीर तो रहती है मगर मैं नहीं रहता ।

 

सुर्ख कब्रों से रिस रहा है खून ,

ज़मीन के भीतर ग़मों का जिल्ला है ।

 

उबल के बैठ गए जोश ए बुलबुले की तरह ,

चमन में ऐसे भी राज़ ए गुल क्या अब हर रोज़ खिलेंगे

 

बात बतकही सबसे होती है ,

गोया तर्क़ ओ ताल्लुक़ किसी किसी से होता है ।

sad shayari 

तालीम लेकर भी कोई बुत ही रहा ,

बेमायने है प्यारे ज़िन्दगी उसकी ।

 

रात वीरान ग़म ए उल्फ़त और ख़ामोशी ,

रात बियाबान होती है मैं तन्हा नहीं होता ।

 

वक्त आते ही रुख़ में तरदीद नज़र आने लगी ,

ऐसे हमने आस्तीनों में सियासी साँप पाल रखे हैं ।

 

दौर ए सियासत में में माना की बड़ी भुखमरी है,

तो क्या मिल्क़ियत ए रियासत रियाया में बाँट दें ।

 

सो गए थक के जो रात के परिंदे थे ,

दिन के उजालों को सवालों की मायूसियों ने घेरा है ।

 

एक सवाल बनके नज़र रहती है ,

जो हट जाएँ ज़ुल्फ़ें रुख से तो सारे जवाब मिल जाएँ ।

 

मौसमो सी थी तेरी तुनक मिजाज़ी ,

बेमौसम सा निकला तेरा आना जाना ।

 

साँस थम सी गयी थी रुख़्सत पर तेरे ,

तेरी यादों में जीना छोड़ कर ज़िन्दगी ने रफ़्तार ले लिया ।

 

शमा पर मर मिटने का कोई ज़ौक़ नहीं ,

बर्फ के बर्क सुकून दे रूहों को वो जूनून इज़ाद करें ।

 

ज़ल्दी इतनी है तुमको मरने की ,

ऐ पतंगों कोई और दर तलाश करो ।

 

ज़िंदा रखा है शायर को दौर ए उल्फत में ,

कहते हैं ये ग़म ए उल्फत में भी जश्न मना लेता है ।

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ज़ख्म देना ही है ग़र तासीर ए मोहब्बत ,

गोया लोग इश्क़ की आग में जलते क्यों है ।

 

जिसने इस तख़्त के पायों को तराशा होगा ,

गोया दिल ए ज़हमत से अरमानो को नक़्शे में उतारा होगा ।

 

क्या जिया वो ज़िन्दगी अपनी ,

जीते जी क़ब्र पर जिसके मौत शान से पोसीदा है ।

pix taken by google