गिरफ़्त कर दे ढीली तो कुछ और जी लें जीने वाले romantic shayari,
गिरफ़्त कर दे ढीली तो कुछ और जी लें जीने वाले ,
वरना बेमौत मरेंगे तेरी ज़ुल्फ़ों में मरने वाले ।
शहर भर के उजालों पर घनेरी ज़ुल्फ़ें करके,
जाने किसके दिल का खज़ाना लूटेगी निगाहें तेरी धोखा करके ।
इत्र की बोतलों में भर भर के जो आदम ए खून सहेज रखा है,
मुर्दों से आती बास को कब किसने जहान में रोक रखा है ।
मत देख मेरे इश्क़ का जूनून ,
तू देख मेरे इश्क़ में कितनी सच्चाई है ।
तन पर नज़र तू मत रख तन शानदार है ,
आत्मा टटोल आत्मा पर कितने घाव हैं ।
बड़ा तल्ख़ तल्ख़ लगता होगा ,
जब अतीत का कोई शख्स आत्मा कुरेदता होगा ।
जब भी बैठ जाता हूँ पुरखातन का खोल कर चिटठा ,
अतीत की पेशानी पर हैरानी के सिकन आज भी उमड़ आते है ।
वक़्त के पहले निज़ात मिलती नहीं ,
ये तिश्नगी ए इश्क़ है क़ब्र के पहले भी कभी बुझती नहीं ।
जितने पैंतरे सियासी नट जानते हैं ,
उतने करतब आदम ए खुल्द के बस की बात नहीं ।
दिल की टीस मुर्दों के दबे छाले ,
हर आदम ए खून पर जहां में मिलते नहीं रोने वाले ।
साँस रुकने तक ठहर जाता कोई,
उठने से पहले खज़ाना लुट गया जनाज़े का ।
कौन धोता है नक़्श मुर्दों का ,
जीते जी दाग़ दामन के साफ़ खुद कर ले ।
सूरत ए आदम पर नज़र टिकती नहीं ,
हमाम में हर एक पुतला बेलिबास नज़र आता है ।
शक़्ल सूरत से हूबहू न सही कोई बात नहीं ,
तल्ख़ लहज़े से हर बन्दा आदम ए अक़्स नज़र आता है ।
बदल जाते हैं ज़माने की तस्वीर बदलने वाले ,
वक़्त की बादशाहत पर हमेशा एक इक्का नहीं चलता ।
मुझ पर एक एहसान निभा देते ज़माने वाले ,
मरने से पहले मेरे बिस्तर का सुकून लौटा देते ज़माने वाले ।
ये बाब ए सुख़न में शायरी के नग़मे हैं ,
दरमियाँ ए नज़रों से भी इनके दूर दायरे हैं ।
हमने एक बात सुनी थी ग़ालिब के सुखनवर पर ,
ज़ौक़ ए शायरी का लोगों में आज भी ठाठ बहुत है ।
शहर भर के उजालों पर घनेरी ज़ुल्फ़ें करके,
जाने किसके दिल का खज़ाना लूटेगी निगाहें तेरी धोखा करके ।
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