गुलों को मदहोश कर रही हैं कलियाँ कचनार की funny sms,
गुलों को मदहोश कर रही हैं कलियाँ कचनार की ,
फ़िज़ाओं में छाई है खुमारी इस कदर बाग़ ए बहार की ।
गुलों के नाम सजा रखे हैं शाम ए ग़ज़ल ,
गुलों को जाम पीला रहे हैं शाम ए गुल जी भर कर ।
भीनी भीनी ख़ुश्बुओं से हाल ज़ाहिर है ,
फिर कोई टूटा है गुल शाख से कलियों के प्यार में ।
ज़िन्दगी गर मेरे फैसलों पर अटकती ,
मैं ही हो जाता खुदा मुझसे ही हर बिगड़ी भी बनती ।
हर फैसला मेरे मन का हो ज़रूरी तो नहीं ,
कुछ मसले ऊपर वाले की मर्ज़ी से भी सुलझने चाहिए ।
लिखने वाले ने लिखी थी सबकी तक़दीर एक ही क़लम से ग़ालिब ,
किसी की साज़ को सरगम किसी को बेआवाज़ क्यों रखा ।
तेरे लफ़्ज़ों में गज़ब की नुख्ताचीनी है ,
शायरी में तू उम्दा कमाल करता है ।
रात के सन्नाटों में इफ़रात जगह मिलती नहीं ,
मुनासिफ के वास्ते एकाध जगह पहर और बढ़ना चाहिए ।
हक़ीम ओ तबीब के बस का होता अगर ,
शहर भर में हर मरीज़ ए इश्क़ तबीयत से तंदुरुस्त होता ।
तबीब शहर भर के बेरोज़गार कर दिए ,
जमाल ए यार के होठों के तबस्सुम ने वो कमाल कर दिया ।
इश्क़ के मरीज़ों का यही हाल रहा ,
दफ़नाने को न कफ़न बचा नहीं कंकाल रहा ।
हर्फों की हुनरमंदी है ,
सदा ए दिल शायरी बनके खुद बा खुद सफहों में उतर आती है ।
गुल की फ़ितरत में जश्न होता है ,
इब्न ए इंसान बस ग़मों में रोता है ।
गुलों की बर्बादियों में ही शाम सजती है ,
गोया जश्न ए गुल भी वही होता है मातम ए गुल भी वही होता है ।
कौन है जो रंग भरता है तितलिओं के पंख में ,
कौन है जो मदमस्त करता है भंवरों को मकरंद से ।
ज़िन्दगी सफ़हों में लिखी तहरीर ही नहीं ,
अनकही अनसुलझी तस्वीर है यही ।
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