घरों में ताले लग गए मीनारें सूनी हो गयी hindi shayari ,
घरों में ताले लग गए मीनारें सूनी हो गयी,
रो रही हैं सूनी सड़के सहीदों की पत्नियाँ बेवा हो गईं ।
रसूकदारों के दम पर चलते हैं वैश्यालय तीर्थ स्थल में ,
क्या महज़ धर्म के रक्षार्थ देवदासियां बनी होगी ।
बिक रही हैं लडकियां अब चौहट्टे बाजार में ,
क्या बचेगी बेटियां बेटी बचाओ अभियान से ।
मर गए करते मुक़दमा दादा, पोते पोती मर गए ,
जाने कितने मासूम कानूनी अव्यवस्था के चलते वक़्त से पहले सूली चढ़ गए ।
अबला नारी की ज़िम्मेदारी उठाता कौन ,
इसलिए गरुण पुराणों के हिसाब से क्या नारी को सती करवाया जाता था ।
कहने को तो सबके सब भगवान् के अवतार हैं ,
सारे जहान में इंसान का बस इंसान से न कोई सरोकार है ।
जब तक ज़िंदा था रोज़ जलता था ,
मरके जिस्म के साथ इकठ्ठा लट्ठा भी जल गया ।
सूखी फसलों के साथ किसानों के किस्से रोज़ छपते हैं ,
आज फिर कोई मज़बूरी में मर के अख़बार की सुर्ख़ियों में छप गया ।
कलयुग हो या त्रेता द्वापर ,
जब रामराज्य में भटकी वन उपवन औरत तेरी यही कहानी कुछ अछूत सी कुछ कही सुनानी ।
हमारी तारीफ़ किसी तार्रुफ़ की मोहताज़ नहीं ,
हमारी मौजूदगी से ही महफिलों की शमाएँ रोशन होती हैं ।
अपनी बर्बादियों की तोहमत इश्क़ पर न लगाइये ,
बिना बर्बाद हुए भी हुआ है किसी का नाम वो नाम बताइये ।
मैं जली जली हूँ सुबह की सोहरत से ,
मेरे हिस्से के चरागों में अभी अँधेरा है ।
सभी के हिस्से के थे जो सुकून हमने बाँट दिए ,
ख़ुद की ख़ातिर अपनी पलकों में हमने खार सजा के रखे हैं ।
आज भी होके कभी दिल से तू जब गुज़रता है ,
ताज़े हरे ज़ख्मो के टाँके टूट जाते हैं ।
आशिक़ों को इश्क़ करने की सजा भी मिलनी चाहिए ,
न हो क़त्ल ए आम न सही गोया कोहराम मचना चाहिए ।
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