चलती थी बारिश के पानी में कश्तियाँ हवाओं में जहाज़ उड़ा करते थे one line thoughts on life in hindi,
चलती थी बारिश के पानी में कश्तियाँ हवाओं में जहाज़ उड़ा करते थे ,
करती थी आस्मां के चाँद तारों से बातें पतंगे , इरादे सूरज से फौलाद हुआ करते थे ।
थमते नहीं थे कभी आसमानी ख्यालों में उड़ते थे उस नील गगन के परे भी आकाश हुआ करते थे ।
चाँद तारों संग होती थी ठिठोली , वो सब हमारे रिश्तेदार हुआ करते थे ।
चंद सिक्के भी खनकते थे बड़े धूम धाम से जब झूम जहां के हम यूँ सरे बाजार निकला करते थे ।
नाना नानी दादा दादी से लिपट कर सोते थे रात के मुखौटे हज़ार हुआ करते थे ।
खण्डहरों में होते थे चमत्कार , गुड्डे गुड़ियों के भी ब्याह हुआ करते थे ।
आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है , किताबों में पढ़ा करते थे ।
क्या दौर ए ज़माना था बचपन अपना , मुफ्लिशी में भी रहीसी के ठाठ हुआ करते थे ।
अब दौर से जवानी कहीं उल्फत कहीं चाहत कहीं आवारगी अब ढूढ़ता हूँ मैं ।
सर्द की रातों में बिस्तर के अंदर टॉर्च जला कर कहीं तकिये तले कहीं चादर में बचपन ।
मेरी आवाज़ में भी तू गुनगुनाता है , मई ठहर जाता हूँ तू आगे निकल जाता है ।
मैं थामता हूँ खुद को मुझमे बहक जाता है तू , तेरे हर लम्स की खुशबू मेरी साँसों में ज़िंदा है ।
मैं सो जाऊं अगर तेरे ख्यालों में , मेरे बिस्तर मेरे तकिये के मुहाने में जगता तू रात भर है ।
कभी चादर उढ़ाता हूँ कभी खुद ऊँघ जाता हूँ , तू मुझमे है कहीं ज़िंदा मेरा अब जिस्म है मुर्दा ।
वही कुछ गीत ओझल से मेरे नैनो में बोझल से , तू बोले तो मैं फिर से जी लून तेरे हर ज़ख्म को सी लूँ।
नहीं शर्मिंदा हैं रूहें अभी , मरी हुयी है फिर भी ज़िंदा हैं अभी ।
pix taken by google ,