चाँद के टुकड़े को रोटी का निवाला समझ sad shayari ,
चाँद के टुकड़े को रोटी का निवाला समझ ,
आज भी सैकड़ों बच्चे फुटपाथ पर मुँह खोल के सो जाते हैं ।
थिगड़े लगे हैं माँ के लालों को अब भी ,
सड़सठ का हिंदुस्तान फुटपाथ पर ठिठुर के मर रहा ।
ghost protocol a short horror story
कुछ बच्चों के हाँथ से खिलौने बचपन में छिन गए ,
फिर भी न अटा पेट क्या मज़दूरी भी छीन ली ।
शहर तो जल रहा है गोया धुआँ उगल रहा है ,
तू सिगरेट से कौन सा अब्र ए ग़म भीतर निगल रहा है ।
ख़ुद के सीने में चिमनियाँ जला कर ,
दूसरों के दिल में धुआँ झोकना ही शहर ए रवायत है ।
सियासत कर गया कोई मेरे बेरंग मौसम से ,
आँधियों में उठती धूल भी सौंधी महकती थी ।
ज़मीन से फ़लक़ तक आतिश ए अम्बार लगा डाला है ,
सुखन ए अब्र को क्यों बारिश ए सियासत में भिगो डाला है ।
हम ख़्वाबों की फ़सल बोते हैं ,
गोया अब ख़्यालों में भी गर शोले गिरे ख़ुदा ख़ैर करे ।
दिग्भ्रमित होंगे ग़र शूलों में चलने का कौशल नहीं ,
मैं पथिक का भ्रम हूँ मानवों से कोई मोह नहीं ।
उस घर में दिवाली के दिये में तेल नहीं दिल जलता है ,
जिस माँ का बेटा मादर ए वतन की खातिर सरहदों की निग़हबानी करता है ।
वो कहते हैं हम शहरों को संघाई बनायेंगे ,
वो भी फुटपाथ के बासिंदों को बेघर किये बग़ैर ।
चन्दन की चौखटों पर लटकती बेल को न देख ,
ये माहौल ए बू बदौलत सूखी छड़ी का है ।
बुझे घर की ख़ाक सजा लाया हूँ ,
इश्क़ में हुए बर्बाद अपनी मोहब्बत की तस्कीन बजा लाया हूँ ।
शब् ए फ़लक़ पर माहताब सजा रखा है ,
गोया फिर भी दिल में क्यों आफ़ताब जला रखा है ।
फिर सरहदों में रात गोलियाँ चली होगी ,
यूँ ही नहीं बच्चे आँगन में कारतूस खेल रहे ।
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