जोश ए पतौखी का असर है बरखुरदार hindi literature ,
जोश ए पतौखी का असर है बरखुरदार ,
या ऐरै लेमड़ी लटकाये बागते हो ।
तसमई परसूँ की प्योसरी सजाऊँ ,
बोल तेरे ख़्वाबों की तस्तरी में व्यंजन कहाँ से लाऊँ ।
ककहरा दुदुनिया अक्षर कारे न बाचत बने पहाड़ा,
मालिकिन फुसूंणा मारे अइसन जइसन पहाड़ पेले हो सारा ।
आज की सगळी शब् ए बज़्म तुम्हरे नामे ,
उठ बिहन्ने कलेबा में कलेजा छोड़ जाउगा ।
दोहनी मा सोंधे दूध के पाकब ,
जस जस भई अबेर न्यूना तरछन चट करि जैहै बिलारी सगळी ढेर ।
one line thoughts about life in hindi
न्यूना बचा न चासनी मट्ठा बची न छास ,
कटही बिलारी चट गयी दोहनी चढ़ के माच।
निछत्र कूटती न नज़र तेरी आवाजाही पर ,
किरचा भर भी सुबान होता अगर तेरी बेवफाई का ।
यूँ ही न दहनारद मचाता कोई ,
अगर लोग कॉल देकर लबरी न बोल जाते ।
मरी गे घर भर के ज्योनार भूखे पेट ,
रात सगळी खाना पकाना खेलें मा बीत गई।
पतीली के तरछन में बच गया होता ,
तो गली के पिल्लों को भी निवाला मिल गया होता ।
पटउहाँ में रख के सो जाते हो क्या ख़्वाब सारे ,
उठते ही खलीसा तलास करते हो सकारे ।
ये जो दिन भर आँखों से आँसू टपकते हैं ,
दिल में ग़मो के मिर्च काहे खूथ रखे हो ।
उफ़ ये नज़रों की फेका फेंकी गब्भा भर के लपेटना ,
अदाओं से पेच डाल के बातों से काटना ।
अजहूँ न आये खसम सांझ रात को ,
कौन करिहैं कलेबा झूर बासी बात को ।
उच्छिन्न न मारो एक बात कह दूं ,
बालम तोहे जियरा में रख के उघन्नी दरिया में फेंक दूं ।
रात खटायेगी कैसे ,
सुबह तक के लिए चितचोर फिर से जाग गया ।
सारे लहज़े लरज़ गए उनके ,
सामने जिनके सेखी धरी सकाती थी नहीं ।
जल मत बराबरी के चक्कर में आगे बढ़ गया ,
थी निछट खाई में गिर के खुद को मुर्दा कर गया ।
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