तज़बीज़े बिना उतरे हो दिल की तलहटी में तुम quotes,
तज़बीज़े बिना उतरे हो दिल की तलहटी में तुम ,
अब निकलो खुद या डूब मरो अपनी बला से ।
नज़रों से आने जाने का कोई वक़्त नहीं ,
दिल में रहने की मुनियाद मुक़म्मल तो कर ।
हर रात ख्यालों में तेरा आना जाना ,
रात भर पलकें खुली रखी चराग जलने दिए ।
आँखें मीठे पानी से चश्म ए तर थी कभी ,
दिल के समंदर ने झील के झरनों को भी खारा कर दिया ।
लौट आये वो परिंदे जो मेरे अपने थे ,
अब तो दिन रात है ख्यालों में उनके कौन आँखों आँखों में सेहर होने दे ।
नज़रों से सीधा दिल पे असर करती है ,
लाइलाज़ है बीमारी नासमझी में लोग जिसको शायद इश्क़ कहते हैं ।
नज़रों की खता थी जो तूने इश्क़ किया ,
हुआ बर्बाद तू ही खुद दिल क्यों आहें भरे ।
सुरमे से भरे नखरीले नैन ओ नक़्स तेरे ,
दिल का उड़ावे चैन बात सरे राह चले ।
न सोये खुद न तेरे ख्यालों को ही सोने दिया ,
हमने आँखों में सारी रात तेरे ख़्वाब सजा रखे थे ।
अब भी तजबीज लेती है नज़र सोखी ए शबाब ओ हुश्न ,
दिल है की बूढी टाँगों से भी गुलाटी मार लेता है ।
यूँ पलकें झुका कर दिल को चुराने की अदा ,
वो कसम ए वादे वफाओं के ये मौसम ए ज़फ़ा ।
तेरे लिबास में अब भी शीलन है आब ए गम का ,
गोया ग़म का मौसम शहर से गुज़रा तेरे दिल से तो अभी गुज़रा नहीं I
दिल मिले न मिले हाँथ मिलाते चलिए ,
सरीक ए रानाइयाँ ही ज़माने का दस्तूर है रंग जमाते रहिये ।
फ़क़त साँसों का चलना ही ज़िंदा होने को पुख्ता नहीं करता ,
गोया बुतों में भी जान होती है बुतों के भी दिल धड़कते हैं ।
दिल की धड़कनों से शेर बनते गए ,
मैं हर्फ़ दर हर्फ़ नगमो में पिरोता आया हूँ ।
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