तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल sad poetry in english urdu,
तबीयत ए नासाज़ रहता है दिल ,
गोया हर दौर ए उल्फ़त का मामला संगीन ही होता ।
भूलने भुलाने में वक़्त नहीं लगता ,
हुश्न ओ इश्क़ की महफिलों में लाखों नूर ए नज़र के तलबगार होते हैं ।
पुर सुकूत की ज़िन्दगी को तरसा तमाम उम्र ,
अब चैन से सो रहा है आदम खुद की कब्र पर ।
रगों में बह रहा लहू नहीं बर्फ़ का पानी है ,
ये ज़ौक़ ए इश्क़ के लम्स है जो सर्दियों में धड़कनो को थमने नहीं देते ।
वादियों में फैली खिज़ाओं की खामोशियाँ ,
सरगोशियों में जाने कितनी दास्तान कहती हैं ।
इश्क़ करना है तो ख़ुदा से कर ,
ख़ाक मिटटी के बने पुतलों की औक़ात ही क्या है ।
दम घुट रहा है रूहों का किसी ठौर पुर सुकूत नहीं,
आदम ए बस्तियों की जानलेवा रवायतों का कोई तोड़ नहीं ।
सोग़वार वो हैं जो बेलिबास भटकते तमाम उम्र ,
अब उम्र के इस दौर में मुर्दों के कफ़न नोच रहे हैं ।
क्या लाले क्या निवाले ,
जब शहर ए मुंसिफ के दर पर भूखे खड़े हों जान छिड़कने वाले ।
सियासत माँग भर्ती है रंग ए लहू से भरने दो भरने दो ,
हम चैन ओ अमन के सिपाही है सादगी की बात करेंगे ।
किस पैरहान से आज़ाद करेगा मुझको ,
मेरी रूहों में पैबंद लगे हैं लाखों ।
सिक्के के पहलुओं में ठहर जाती है ज़िन्दगी ,
सह या मात दिए बग़ैर कितना कुछ कह जाती है ज़िन्दगी ।
इंसान तन्हाइयों को हर्फों में पिरोकर कर के शायरी तरास करता है ,
या फिर मैकशी में डूबकर महफ़िलें तलाश करता है ।
ख्वाहिशें हर किसी को है ज़िन्दगी की महक तलाश करने की ,
गोया कोई सिर्फ आरज़ू ए ग़ज़ल में ज़िन्दगी फ़नाह करता है ।
दिल ए बेताब जश्न ए आज़ादी का मतलब समझता नहीं ,
गोया रंग बिरंगी तितलियों के पीछे फिरंगी बना फिरता है ।
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