तर्क़ ओ ताल्लुक़ न गुफ़्तगू ए ग़ज़ल है उनसे ,one line thoughts on life in hindi,
तर्क़ ओ ताल्लुक़ न गुफ़्तगू ए ग़ज़ल है उनसे ,
गोया एक अदना सी नज़र साज़ ए दिल के तार छेड़ जाती है ।
वो कहते हैं दिलों में है दो चार क़तरों की प्यास ,
हम शराब ए अंजुमन सजा कर लाये हैं मैकशी के लिए ।
जज़्बा ए जुनून हो तो जहान साफ़ होगा ,
दिल ओ दिमाग का मलबा तो महज़ वहम है प्यारे ।
उरूज़ पर हैं ख्वाहिशें आजकल ,
बुलंदियों पर ले जाएँ या दिल ए नादान को गर्त ए ख़ाक तस्कीन करें ।
इश्क़ की नैमतें कब बुलंदियों की मोहताज़ होती हैं ,
ये वो नायाब दौलतें हैं जो खुशनसीबों के पास हुआ करती हैं ।
तेरे इश्क़ का गोरख धंधा नोटबंदी सा निकला ,
न सूद न दयान ताउम्र साँसों की किश्तें अदा अदा किये हम ।
लुत्फ़ आता था उनकी बातों में ,
फिर नज़रों नज़रों में दिल ए नादान क़त्ल ए आम हुआ ।
मोहब्बत का इतना ख़ामियाज़ा भरा ,
फिर किस की अदावतों में सर कटा कर ही आते ।
दिलों में लबरेज़ हों मोहब्बतें तो ग़ज़ल होती है ,
ये गुफ्तगू ए मौसिकी खुशनसीबों को फज़ल होती है ।
न कोर्ट न कचहरी न दरोगा न कोतवाल ,
चोर के घर डकैत के जैसा है ये गुफ़्तगू ए इश्क़ बहरहाल ।
तेरे दाग़ ए दामन पर मैं ग़ज़ल लिखता ,
शहर ए नामचीनों के बीच तू खुद है बदनाम बड़ा मैं क्या लिखता ।
रूबरू होते हैं तो बेरुख़ी से मुकर जाते हैं ,
गोया आजकल न जाने किस जुस्तजू ए विशाल ए यार में ग़ुम रहते हैं ।
साँसों का हौंसला बुलंदी छूने लगा ,
सुर्खरू है ख़बर ज़िन्दगी की सेहर होने को है ।
आतिश ए आशनाई है जो पतंगों को चरागों तक खींच लाती है ,
वरना ख़ुद का वजूद मिटाकर रोशनी का तलबगार होता है कौन ।
one line thoughts on life in hindi,
कारोबार ए उल्फ़त में खोये हैं इस कदर ,
न होश ओ हवास ख़ुद का ज़माने की है ख़बर ।
pix taken by google