तार्रुफ़ खुद से हुआ तो आइना शरमाया 2line attitude shayri,
तार्रुफ़ खुद से हुआ तो आइना शरमाया ,
सामने जो शख्स खड़ा था वो बहरूपिया निकला ।
हर्फ़ दर हर्फ़ का लहज़ा ग़र मोहब्बत ही मोहब्बत हो ,
तो चाँदनी के सीरे में चाँद डुबोकर लपक जाएँ सारे ।
हम मरे इश्क़ में बेमौत कोई रोने नहीं आया ,
यूँ तो मरते हैं आशिक़ छपता हैं हर्फ़ दर हर्फ़ अखबार की सुर्ख़ियों में भी नाम होता है ।
उठता नहीं है रोज़ इंसान सोच से ,
इरादों के दम से दुनिया सारी क़ायनात है ।
चाँद पर है अब्र ए हिज़ाब ऐसा ,
मामू अपनी ही चांदनी से शरमा रहे हो जैसे ।
sarkaar ki nal jal yojna aur ek vidhwa ki katha vyatha a short story
यूँ इश्क़ की तल्खियाँ न उड़ाओ ग़ालिब ,
हम भी तुम्हारे जानिब इश्क़ में कभी सरकार हुए थे ।
बड़ी फ़ुरसत में किया इश्क़ न हुयी हाय तौबा ,
जब मिली सजा ए मौत तब गुनाह समझ में आया ।
संगी साथी छूट गए सब बाबुल तोरे द्वार ,
कैसे हँसू करूँ ठिठोली घर गृहस्थी मूड़े पड़ी झबार ।
संगदिल ज़माने ने हमें ऐसे हाल ए मुक़ाम में रखा ,
न आह ही भरे न गुमसुदगी का मज़ा ही चक्खा ।
लिख दूँ फ़लक़ पे नाम तेरा हर लफ्ज़ सजाऊँ ,
पलकों से चुनूँ तारे चाँदनी के तोरे माथे पर बिंदिया लगाऊँ ।
अल्फ़ाज़ नहीं मिलते जज़्बात थामने को ,
हालात बड़े नाज़ुक दौर ए इश्क़ में हुआ करते हैं ।
इश्क़ मिला न मिला कोई बात नहीं ,
दौर ए आशिक़ी में तोहमत ए बेवफाई ही सही ।
यूँ तो चाहने वालों की कमी नहीं ज़माने में ,
पर दिल के खासम ख़ास कुछ ख़ास हुआ करते हैं ।
नज़रें कतरती हैं चिलमन ,
बातों से हिज़ाब करते हो , अक़्ल से पैदल चले आये ,
जो लब से उर्दू फ़ारसी के सवाल करते हो।
चाँद जलता है मेरे यार का हुश्न ओ शबाब देखकर ,
सर्द रातों में यूँ ही चाँदनी में धुआँ नहीं होता ।
ज़र्फ़ की बात में हम लाजवाब हो न बड़े ,
आशिक़ों की ज़ात पर बन आये तो पत्थरों को मोम भी कर दूँ ।
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