तेरे किस्से में मेरा वज़ूद कहां whatsapp status,
तेरे किस्से में मेरा वज़ूद कहां ,
खुद के बूते पर हाल ए मुक़ाम पाया हूँ ।
दहकते लब पे तेरे लफ़्ज़ पिघल जाते हैं ,
सरगोशियों से ही हाल ए दिल के पयाम आने दो ।
बड़ा दर्द है इसके कैंडी क्रश में ,
वाक़ई में अंजाम ए इश्क़ जाने क्या होगा ।
परत दर परत जब गिरह खुलेगी अंधेरों की ,
कुछ उजालों का भी गुनाह ए क़ामिल होगा ।
मुकम्मल नहीं हूँ मैं भी मुकम्मल नहीं है तू भी ,
बस दास्तान ए मोहब्बत ही क़ामिल मिली है हरसू ।
अभी नादाँ हो इश्क़ की गलियों से बातों से कुछ नहीं होता ,
बस खामोशियों से गुनाह होते हैं खाली जज़्बातों से कुछ नहीं होता ।
कहाँ को निकले थे कहाँ को पहुंचे हैं ,
रात के शबनमी ख्यालों में गुम जाने किसकी ज़ुल्फ़ों में अब तलक उलझे हैं ।
कम्बख्त वो भी ज़माने से जा मिली ,
गोया जिसकी मोहब्बत के दम से हम सांस दम बा दम भरते थे ।
दिल के छाले हैं जुल्ल ए शायरी न समझ ,
इन्ही लफ़्ज़ों में दर्द ए दिल की दवा पाओगे ।
तेरे बिना ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं,
बस साँसों की रज़ामंदी है ।
शब् ओ रोज़ अब गुज़रते नहीं ,
तुझ बिन उम्रें फ़िज़ूल खर्ची है ।
जाने किस कगार में लाकर खड़ी कर दी है ज़िन्दगी ,
न तैर के उस पार जाते बनता है न डूबकर मर जाते बनता है ।
रात की तहों में छुपे हैं किस्से सारे ,
हमने चौपरत के सहेजे थे अरमानो के हिस्से सारे ।
सुर्ख़ सफ़क उजालों की दरकार किसे है ,
रात के जुगनू तो बस अंधेरों में जला करते हैं ।
रात के जलते सरारों की औक़ात कहाँ ,
दिन के सुर्ख़ सफक उजालों में अपना वज़ूद तलाश करें ।
धरातलीय सतहों पर अरमानो के बनते बिगड़ते बुलबुले ,
बरसात के दिनों में प्रायः हरसू ही दिखा करते हैं ।
कहाँ से जलते हैं कहाँ पे बुझते हैं ,
ये अरमानो के दिए बेवज़ह ही कोलाहल सा किया करते हैं ।
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