दहेज प्रताडना एक्ट और टुटपुँजिये नेतागण short stories ,
दोस्तों हम हिन्दुस्तान में रहते हैं , जहां आये दिन दहेजप्रताडना के केस सुनने और देखने को मिलते रहते हैं , दहेज़ लेना
आजकल फैशन में आ गया है , कोई वास्तविक दहेज प्रताडना से प्रताड़ित है तो कोई काल्पनिक , इसी दहेज प्रताडना से
प्रताड़ित आज हम एक ऐसे टुटपुँजिये नेता की कहानी लेकर आये हैं , जो दहेज़ तो जो पाया सो पाया इस दहेज़ प्रताड़ना
के चलते जान से हाँथ धो बैठा , वैसे तो हिन्दुस्तान में टुटपुँजिये नेताओं की कमी नहीं हर दो टके का दूसरा आदमी अपने
आपको मिनिस्टर ही मानता है , तो चलिए अब सीधा कहानी में आते हैं , हमारे नेता जी ने कई पार्टियां बदली जो कोई
भी पार्टी सत्ता में आती उसी के पीछे दुमछल्ले बनकर लग जाते , नेता जी तो गाँव वालों को हमेशा परिवार नियोजन का
पाठ पढ़ाते फिरते थे , मगर खुद ८ औलाद पैदा कर चुके थे शायद ओपोज़ीशन का हाँथ रहा होगा ., जिनमे इनके ७
बेटियां एक बेटा जो लाख मन्नतों के बाद पैदा हुआ था , वो हुआ नेता जी अपनी ६ बेटियों और दामादों को तो कहीं न
कहीं सटल कर ही चुके थे मगर उनका मंदबुद्धि बालक उसका वो कुछ नहीं कर पारहे थे , उससे भी छोटी एक बेटी थी वो
भी पढ़ने लिखने में पौने आठ ही थी फिर भी नेता जी ने उसे ग्रेजुएट बना दिया था , बेटे को आठवीं पास होने में ४ चार
साल लग गया ,और शहर में १० वीं का पेपर दिया उसमे भी फ़ैल हो गया , अब नेता जी समझ गए की इसका कुछ नहीं
हो सकता कहीं गांवखेड़े से दसवीं का पेपर दिलवाये जहां उसके दामाद टीचर थे , बढ़िया ८५% की मार्कशीट बनवाई और
उसी के दम पर लड़के को पॉलिटेक्निक में एडमिशन करवाया जैक जुगाड़ लगाकर पॉलिटेक्निक की डिग्री दिलवाई और
एक प्राइवेट कॉलेज से इंजीनियरिंग करवाई , और एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी लगवा दी ,अब क्या था नेता जी का
जलवा लड़का इंजीनियर , दोनों हाँथ की दसों उंगलियां घी में और सर कड़ाही में नेता जी जहां भी जाते अपने सुपुत्र कुमार
गन्धर्व को साथ में लेकर के जाते , बड़े बड़े घरानो से रिश्ते आने लगे , आखिर कार एक जे . ई . बेचारा जाल में फंस ही
गया , उससे नेता जी ने अच्छी खासी रकम दहेज़ में ऐंठी , बाकी गाडी घोडा चीज सामान ये तो कोई भी बाप अपनी बेटी
को देता ही है , नेता जी ने भले ज़िन्दगी टुटही साइकिल में गुज़री हो भाई अब तो नेता जी को फोर व्हीलर मिल गयी थी,
गाँव में उनके जलने वाले पहले ही क्या कम थे अब तो और बढ़ गए , जे . ई . साहेब की बेटी नेता जी के घर बहू
बनकर आई , मगर एक हफ्ते से ज़्यादा नहीं तक पायी बहु को बेड टी पीने की आदत थी और नेता जी के यहां उठ
बिहन्ने बर्तन मांजो ,खैर बहू मायके गयी तो दुबारा ससुराल नहीं आई , आया तो कोर्ट का सम्मन की अब तलाक़ चाहिए
, नेता जी की गाँव भर में पगड़ी उछल गयी , गाडी और साज ओ सामान बहू पुलिस के साथ आई और ले गयी , और
नेता जी को चमका गयी बुड्ढे तुझे और तेरे इस कुमार गन्धर्व बेटे को मैं कोर्ट में देख लूंगी . भाई वो भी जे . ई . की
बेटी थी मज़ाक थोड़ी न था , आये दिन पुलिस भेजकर नेता जी को तंग करवाती , एक दो बार पुलिस उठा भी ले गयी
मगर मामला थाने में ही सलट गया , एक बार तो मांघ की ठाढ़ी में आधी रात के समय पुलिस उठाने गयी तब नेता जी
की सबसे छोटी बेटी ने नेता जी से कहा अब क्या होगा पापा , तो जवाब में नेता जी ने बोलै लक्कड़ तुक्कड़ बांधो और
भागो , इससे पहले की पुलिस आती बेचारे नेता जी आधी रात को ही अपनी बेटी और बीवी को लेकर गाँव छोड़कर भाग
गए ,
बेचारे नेता जी जब भी कोर्ट जाते बहू उन्हें और उनके बेटे को जमकर गालियां देती , की कमीनो ने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद
कर दी है , नेता जी चाहते थे बहू रज़ामंदी से घर आजाये मगर बहू को नेता जी के घर आना कतई गवारा नहीं था , और
नेता जी के पीछे कोई परिवार वाला खड़ा होने को तैयार नहीं था , क्यों की कल तक साइकिल से चलने वाला कोई व्यक्ति
अगर कार से चलने लगे तो लोगों की आँख में किरकिरी तो पड़ेगी ही , नात रिश्तेदार सब यही कहते खूब तीन के डब्बे का
घमंड बताता था सब चूर चूर हो गया , अब रो जाती है पुलिस ढूढ़ने अपनी करनी का फल भुगतो , इन्ही सब वारदातों के
चलते नेता जी को हार्ट अटैक आ गया पहला अटैक तो बर्दास्त कर गए दवाई करवाई गयी ऑपरेशन हुआ दूसरा भी झेल
गए मगर तीसरा अटैक नेता जी नहीं झेल पाए और ऊपर वाले को प्यारे हो गए दहेजप्रताडना एक्ट अभी ख़त्म नहीं हुआ
है केस चल रहा है , अब पेसी में नेता जी के कुमार गन्धर्व बेटे जाते हैं , और अभू को हर महीने की खानाखुरागि १०
हज़ार देकर चले आते हैं , पहले पांच थी जो बहू ने अब बढ़वा ली है । तो दोस्तों आपने इस कहानी से कुछ न कुछ जरूर
सीखा होगा ।
pix taken by google
इति सिद्धि येत