दीदा ए यार से आँखों को सुकून मिलता है dard shayari,
दीदा ए यार से आँखों को सुकून मिलता है ,
रूह में अब भी एक प्यासा समंदर ठहरा हो जैसे ।
आँखों में किरकिरी सी बनके चुभती हैं तेरी यादें ,
ये बात और है आँसू तो बहुत बहते हैं बहती नहीं तेरी यादें ।
फ़नाह ए इश्क़ तबीयत ए रंगीन ज़िन्दगी नासाज़ उम्र की दहलीज़ पर बैठे परिंदे ,
मयारों से चिपके अब भी वादी ए जहाँ से वादे वफ़ा की उम्मीद करते हैं ।
राज़ सीने में दफ़न तन पर ओढ़े क़फ़न ,
लाश कहती है सनम , हम पर भी तो कर निगाह ए करम ।
माना की सीने में फोरस्ट्रोक इंजन जैसा कुछ धड़कता नहीं ,
पर अब भी खड़खड़ाता सा दिल महसूस होता है इस उम्र ए दराज़ में ।
नक़ाब से झाँकती आँखों के इशारे होते हैं ,
कसम ख़ुदा की हिजाब ही जाने कैसे कैसे अरमान बेनक़ाब होते हैं ।
यूँ तो सब मायाजाल है ,
तू मैं मायाजाल का हिस्सा है बाकी सब महज़ किस्सा है ।
इश्क़ में जीता रहा मरता रहा तब तक ,
अब नाम की मुफ़्लिशी है बेताज़ बादशाह हैं अपनी तन्हाइयों के ।
तपिस ग़मों की है दिल के ज़ख्मों को धो देगी ,
आँखों के पानी में नमक है दर्द से राहत देगा ।
यादों के पैंडुलम पर मटकते अँखियों के अंगार ,
चाँद की टाँग पर लटक कर रात पार करने की ज़िद ,
उफ़ ये अज़ाब ए मोहब्बत जान लेगी अब तो ।
बिख़री ज़ुल्फ़ों में उलझी सी ज़िन्दगी ,
बोझिल सी बहुत काँधों पर महसूस होती है ज़िन्दगी ।
हर बात पर कसम खाते हैं ऐसे ,
झुकी पलकों से झूठ बोलते सरमा रहे हों जैसे ।
वो जब निकले यादों की गली से क्या खूब निकले ,
आँखों को झूठ मूठ का कुचलते मसलते निकले ।
मोहब्बत क़ारोबार की तरह करते हैं ,
मरता है कोई मर जाए मोहब्बत की बला से ,
फ़र्क़ पड़ता नहीं किसी को हम तो आशिक़ों के कारवाँ से चलते हैं ।
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