दीन ओ मज़हब से जुदा हो तो कोई लाख सही quotes life hindi ,
दीन ओ मज़हब से जुदा हो तो कोई लाख सही ,
सुना है हमने गुलों की ख़ुश्बू और वतन की मिटटी में कोई फ़र्क़ नहीं ।
इन्सानों के शहर में जब इंसानियत की बात चली ,
कौड़ियों से ज़्यादा न आदमी की औक़ात लगी ।
इतना बड़ा शहर घूम आये गलियों गलियों रस्ते रस्ते ,
घर आके हमसे दवा माँगते हैं दर्द ए दिल की जलन के वास्ते ।
इक आँच जज़्बों को ज़िंदा रखती है ,
दिल को हर लम्स तेरा रूहानी सुकून देता है ।
हिज्र की ठिठुरन और पयमाने भर का नशा ,
सर्द रातों में आँख लग जाए तो ख़्वाब ए सनम होते हैं ।
ग़म ए ग़र्दिश में आँख जलती है ,
वो कहते हैं निगेहबानी ए मोहब्बत बदस्तूर बनाए रखो ।
मैं ही तो नहीं था राह ए मंज़िल तेरी ,
जो सुलग रहा है बिछड़ कर मुझसे मोहब्बत ए आतिशा बनकर ।
दोनों की खिड़कियों में दोनों की आँख लगी है ,
आज हम नहीं सोये तो तुम भी क्या सारी रात जगोगे ।
आँख भर आये उसकी बातों से ग़र ,
सोज़ ए दिल का रंग भी तो थोड़ा सुर्ख़ होना चाहिए ।
जाने कौन टंगा देता है आस्मां पर चाँद रात को ,
फिर चाँद तारों की चहलकदमी सोने नहीं देती है रात को ।
बुझा के बैठे थे चरागों को कहीं कोने पर ,
रात के चौथे पहर अरमानों को दियासलाई दिखा गया कोई ।
दुश्मनो की औक़ात नहीं थी आमने सामने बात करें ,
दोस्त ही सबके सब मेहरबाँ निकले ।
वादिये गुल में हसरतें दिल की सम्हाली नहीं जाती ,
चमन में कैसे रंग ओ बू का कारोबार चले ।
एक खूबरु ए इश्क़ ने तूफ़ान मचा रखा था दिल में ,
गुलों के गुंचे हसरतों में ज़ार ज़ार हुए ।
ज़मीन है ज़र्द बूटा बूटा भींगा भींगा है ,
फिर किसी की आँख से ज़्यादा दिल किसी का गीला है ।
वक़्त नहीं मिलता कुछ और तबाह करने को,
क्यों जान की दुश्मन बनी फिरती है मेरी जान तबाह करने को ।
फ़लक़ की जुम्बिश से शर्मा जाते हैं ,
रात की आगोश में खुलते हैं कितने राज़ ए ग़ुल ।
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